रोहतक में जैन समुदायों का प्रदर्शन रोहतक: जैन समाज की आस्था का प्रतीक और पवित्र स्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल में (Jain community protests in Rohtak) बदलने वाले सरकार के फैसले ने जैन धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है. सरकार के इस फैसले से देशभर में जैनियों में गुस्सा है और वो लगातार सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. वहीं जैनियों ने विरोध में गुरुवार को जैन समाज ने रोहतक में भी रोष जताया है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों ने सरकार के इस फैसले की निंदा की है और जल्द इस फैसले को बदलने (Protest against Sammed Shikhar tourist destination) की चेतावनी दी है.
जैन समाज के सभी घटकों ने झज्जर रोड स्थित जैन जति जी से लघु सचिवालय तक प्रदर्शन किया. लघु सचिवालय के बाहर जमकर हंगामा हुआ. जैन समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि तीर्थ स्थल को अपवित्र नहीं किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ियों में सम्मेद शिखर हैं. ये रांची से लगभग 160 किलोमीटर दूर राज्य की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है. यह जैन समाज के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है. दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदायों के लिए यह श्रद्धा का बड़ा केंद्र है. यहां 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 का मोक्ष हुआ था.
सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने पर विरोध 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन झारखंड सरकार ने केंद्रीय वन मंत्रालय से सम्मेद शिखर पारसनाथ पर्वतराज को पर्यावरण पर्यटन व अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति मांगी थी. मंत्रालय ने बिना जैन समाज की आपत्ति या सुझाव से अनुमति देने वाली अधिसूचना जारी कर दी. जिसका विरोध लगातार पूरे देश में जैन समाज की ओर से किया जा रहा है. नगर निगम की पार्षद डिंपल जैन (Municipal Councilor Dimple Jain) जैन सभा के प्रधान दीपक जैन और प्रतिनिधि विदित जैन व श्वेता जैन ने कहा कि सम्मेद शिखर का मामला भावनाओं से जुड़ा हुआ है.
रोहतक में जैन समुदाय के लोगों ने किया प्रदर्शन. ये भी पढ़ें:जैन धर्म के सर्वोच्च तीर्थ को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर देशभर में बवाल, चंडीगढ़ में निकाला जाएगा रोष मार्च
यह धार्मिक आस्था का प्रश्न है. इसे तीर्थ क्षेत्र ही रहना चाहिए. पर्यटन और तीर्थाटन में काफी अंतर होता है. उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्र में लोग मनोरंजन लिए आते हैं और तीर्थाटन आत्मिक शांति के लिए आते हैं. इसलिए यहां की पवित्रता कायम रहनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें किसी प्रकार की राजनीतिक पार्टी से कोई सरोकार नहीं है. उनका तो लगाव तीर्थ क्षेत्र से है. तीर्थ क्षेत्र की रक्षा और तीर्थ क्षेत्र की पवित्रता को बचाए रखने की बात जैन समाज कर रहा है. अब केंद्र सरकार की गलती हो या फिर राज्य सरकार की इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है. जैन समाज उस अधिसूचना का विरोध कर रहा है. जिसमें इसे पर्यटन स्थल बताया गया है.
ये है मामला: बता दें कि सरकार ने जैन दिगंबर श्वेतांबर समाज के पवित्र स्थल भगवान पारसनाथ पर्वत को पर्यटक स्थल (Shri Sammed peak tourist destination declared) घोषित किया है. इसे श्री सम्मेद शिखरजी तीर्थ स्थान भी कहा जाता है. पर्यटक स्थल घोषित किए जाने के बाद यहां होटल भी खुलेंगे. इसी कारण से जैन समाज नाराज है. वहीं जैन समाज का मानना है कि इससे यह पवित्र तीर्थ स्थान की प्रतिष्ठा पर प्रभाव पड़ेगा.
इसी कारण से लोग आज सड़कों पर विरोध करने देशभर में उतरे हैं. इधर जैन समाज के मुनियों ने कहा है कि जो भी हमारी मांगे हैं, उन्हें शांतिपूर्वक तरीके से रखें. साथ ही जैनियों ने कहा कि ये मामला जैन समुदायों की भावना से जुड़ा है. जैनियों ने सरकार से इस फैसले को तुरंत बदलने की चेतावनी दी है.
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