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बीमा कराओ और भूल जाओ, अन्नदाता की फसल बर्बाद, कंपनियों ने खड़े किए हाथ

प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की दुहाई देकर किसानों के हितों का ढिंढोरा पीट रही है. बीमा कंपनियों ने भी किसानों की फसल की बीमा राशि काट ली है लेकिन अब धान की खराब फसल का मुआवजा देने में आनाकानी हो रही हैं.

insurance expire before paddy harvesting

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Published : Oct 30, 2019, 11:22 PM IST

रोहतक: बीमा कंपनियों से पूछ कर कुदरत किसानों का नुकसान करें तो ही किसानों को खराब फसल का मुआवजा मिल सकता है. क्योंकि बीमा कंपनियों ने नुकसान होने की तिथि तक निर्धारित कर दी है. अगर कुदरत ने उस तिथि के बाद किसानों को कोई नुकसान किया तो किसानों को खराब फसल का मुआवजा नहीं मिलेगा.

बीमा कंपनियों ने खड़े किए हाथ
यही हालात हरियाणा प्रदेश में दिखाई दे रहे हैं. बीमा कंपनी ने ओलावृष्टि और बेमौसम बरसात से खराब हुई धान की फसल का मुआवजा देने से मना कर दिया है. क्योंकि इंद्र देवता 5 अक्टूबर के बाद बरसे और किसानों के बीमे की तिथि 5 अक्टूबर पहले से ही निर्धारित कर दी गई थी. अब किसान अपना परिवार पालने के लिए भगवान भरोसे ही बैठे है. वही भगवान जो बीमा कंपनियों पर है मेहरबान.

रोहतक के किसानों की फसल बर्बाद

बर्बाद किसान
18 अक्टूबर को प्रदेश के कई जिलों में ओलावृष्टि, आंधी और भारी बारिश की वजह से किसानों की धान की फसल में काफी नुकसान हुआ है. अब किसान इस उम्मीद में बैठे हैं कि सरकार या बीमा कंपनी उन्हें मुआवजा देगी, क्योंकि फसल बीमा योजना के तहत उनकी बीमा राशि भी कट चुकी है. लेकिन कृषि विभाग में एक नोटिस चिपका दिए गए हैं कि 5 अक्टूबर से पहले अगर धान की फसल में नुकसान हुआ तो ही मुआवजा दिया जाएगा.

नाराज किसानों ने जाहिर किया रोष
इसे लेकर किसानों में काफी रोष है. किसानों का कहना है कि इसमें उनकी क्या गलती है? कि कुदरत ने 5 अक्टूबर के बाद उनकी फसल का नुकसान किया है. जब उनके खाते से बीमा राशि कट चुकी है तो उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए, चाहे बीमा कंपनी दे या फिर हरियाणा सरकार. इसी मांग को लेकर के जिला मुख्यालय में किसानों ने प्रदर्शन भी किया और मुख्यमंत्री के नाम जिला उपायुक्त को ज्ञापन भी सौंपा.

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कृषि अधिकारी ने दिया आश्वासन
वहीं कृषि अधिकारी इस मामले में लीपापोती में लगे हैं, उनका यह कहना है कि फिलहाल धान की फसल कट रही है और औसत पैदावार के आधार पर किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. हालांकि कृषि अधिकारी यह भी मान रहे हैं कि अभी पिछले कुछ मुआवजे भी बाकी है. अब ऐसे में उन किसानों का क्या दोष? जिन्होंने अपनी फसल का बीमा कराया, लेकिन उस बीमे का उन्हें लाभ नहीं मिला रहा.

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