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हुड्डा के गढ़ में बीजेपी ने सतीश नांदल को दी टिकट, क्या गढ़ी सांपला किलोई में खिलेगा कमल ?

रोहतक की गढ़ी सांपला किलोई सीट भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पारंपरिक सीट कही जाती है. सन 2000 से हुड्डा किलोई सीट पर जीत दर्ज करते आ रहे हैं. वहीं इस बार बीजेपी ने उनके सामने सतीश नांदल को उतारा है. इस पर सतीश नांदल का कहना है कि उनके सामने भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कोई मुकाबला नहीं है.

सतीश नांगल

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Published : Sep 30, 2019, 11:00 PM IST

रोहतक:हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी ने 78 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं. बात करें रोहतक की गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा सीट की, तो बीजेपी ने यहां से सतीश नांदल को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. इसको लेकर सतीश नांदल ने पार्टी नेतृत्व का धन्यवाद किया है.

उन्होंने कहा कि हरियाणा में बीजेपी 75 पार नहीं बल्कि 85 पार करेगी. उन्होंने कहा कि वो मुख्यमंत्री की साफ छवि और सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ जनता के बीच में जाएंगे. इस दौरान उन्होंने यहां तक कह दिया कि वो भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुकाबला ही नहीं मानते. सतीश नांदल ने कहा कि बाप-बेटे ने हलके के लोगों को दुख-दर्द के इलावा और कुछ नहीं दिया.

अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं बीजेपी उम्मीदवार सतीश नांगल, देखें वीडियो

गढ़ी सांपला किलोई का इतिहास
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 1982 में हरीचंद हुड्डा और 1987 में श्री कृष्ण हुड्डा से मात खाई. दोनों बार मात देने वाले प्रत्याशी लोकदल के ही थे. वर्ष 1991 में कृष्णमूर्ति हुड्डा ने 23 साल बाद किलोई से कांग्रेस का परचम फहराया. उन्होंने जनता दल के श्रीकृष्ण हुड्डा को पराजित किया.

1996 में किलोई एक बार फिर कांग्रेस के हाथों से न केवल फिसल गई बल्कि तीसरे स्थान पर भी पहुंच गई. मुकाबला इनेलो और हरियाणा विकास पार्टी के बीच था. लेकिन 2000 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहली बार यहां से जीत हासिल की और तब से लेकर अब तक वे किलोई में अंगद के पैर की तरह अपना पैर जमाए हुए हैं.

काफी रोचक होगा मुकाबला
गौरतलब है कि 2014 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अच्छे मार्जन से जीत दर्ज की थी. उन्हें थोड़ी बहुत चुनौती इनेलो के सतीश कुमार नांदल ने दी थी. 2019 का विधानसभा चुनाव काफी रोचक होने की उम्मीद है, क्योंकि सतीश नांदल को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी की अपनी जीत को आश्वस्त बीजेपी सरकार क्या हुड्डा के गढ़ में कमल खिला पाएगी या 2014 की तरह एक बार फिर हुड्डा ही अपने किले पर राज करेंगे.

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