हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की पैरोल पर प्रतिक्रिया दी. रविवार को रोहतक में अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि राम रहीम को नियमानुसार ही पैरोल मिली होगी. सजा काट रहे किसी भी कैदी के लिए पैरोल मांगना अधिकार है. गौरतलब है कि रोहतक की सुनारिया जेल में यौन शोषण व हत्या मामले में सजा काट रहे राम रहीम को एक दिन पहले 40 दिन की पैरोल मिली है, जिसके बाद वे उत्तर प्रदेश के बरनावा आश्रम में गए हैं. पिछली बार भी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की पैरोल पर सवाल खड़े हुए थे.
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2024 में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तैयार है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को हरियाणा में मिला ऐतिहासिक समर्थन जनता के मूड को बताता है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता बीजेपी और जेजेपी को पटकनी देने के लिए कमर कस चुकी है. आज जनता के सामने समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई, बढ़ते अपराध और नशे जैसे मुद्दों को लेकर कांग्रेस जनता के बीच में जाएगी. निश्चित तौर पर कांग्रेस को जनता का समर्थन मिलेगा.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहलवानों की ओर से कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि बृजभूषण शरण सिंह ने बेवजह उनका और दीपेंद्र हुड्डा का नाम पूरे मामले में घसीटने की कोशिश की. वह इस बारे में वकीलों से सलाह मशविरा कर रहे हैं ताकि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर मानहानि का केस किया जा सके. हुड्डा ने कहा कि खिलाड़ी देश की शान हैं और उन्हें न्याय मिलना चाहिए. इसी तरह हरियाणा के खेल मंत्री पर लगे आरोपों की भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि खेल मंत्री अपने पद से इस्तीफा दें.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गन्ना किसानों की मांगों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि किसान 450 रुपए प्रति क्विंटल रेट की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार को कम से कम हरियाणा के किसानों को पंजाब के बराबर रेट तो देना ही चाहिए. उन्होंने ई- टेंडरिंग प्रणाली से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि सरकार को चुने हुए प्रतिनिधियों पर भरोसा कर उन्हें गांव के विकास कार्य कराने का मौका देना चाहिए. सरकार अड़ियल रवैया छोड़कर सरपंचों को ई-टेंडरिंग के जंजाल से छुटकारा दे.
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