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रोहतक: मंडी में सरसों की कम खरीद से किसान नाराज

रोहतक में सरसों की खरीद शुरू हो गई है. खरीद के पहले दिन ही किसानों ने प्रशासन पर आधे-अधूरे इंतजाम का आरोप लगाया है. किसानों ने कहा कि हमसे कहा गया कि 40 क्विंटल सरसों खरीदी जाएगी. लेकिन यहां पर सरसों की खरीद कम की जा रही है.

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Published : Apr 15, 2020, 8:11 PM IST

farmers angry over short purchase of mustard in mandi in rohtak
farmers angry over short purchase of mustard in mandi in rohtak

रोहतक: लॉकडाउन के दौरान मंडियों में सरसों की खरीद शुरू हो गई है. लेकिन प्रशासन के इंतजामों से किसान खुश नजर नहीं आ रहे हैं. किसानों ने प्रशासन पर आधे-अधूरे इंतजाम का आरोप लगाया है. पंद्रह अप्रैल से मंडियों में सरसों की खरीद शुरू हो गई है. किसान अपनी फसलों को लेकर मंडी आ रहे हैं. लेकिन मंडियों में पहुंचने पर किसानों की पूरी फसल प्रशासन खरीद नहीं रहा है. जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

किसानों के अनुसार प्रशासन ने सरसों की कम खरीद की है. जिसके बाद किसान बची हुई फसल को वापस घर ले जाने को मजबूर हैं. किसानों ने बताया कि सरकार ने एक किसान से 40 क्विंटल सरसों लेने की बात कही है. लेकिन मंडियों में अधिकारी उनसे सिर्फ 12 क्विंटल या 15 क्विंटल ही सरसों ले रहे हैं. जिसके कारण किसानों को बाकी बची हुई सरसों की फसल को घर वापस ले जाना पड़ रहा है.

मंडी में सरसों की कम खरीद से किसान नाराज

किसानों ने कहा कि मंडियों में सरसों की कम खरीद होने के कारण उन्हें काफी नुकसान हो रहा है. उन्होंने बताया कि सरसों को ट्रैक्टर पर लोड कर उसे मंडियों तक पहुंचाने का किराया देना पड़ रहा है. फिर बाकि बची हुई फसल को घर वापस लेकर आना पड़ रहा है. जिसके चलते उन्हें दो गुना किराया देना पड़ रहा है. वहीं मंडियों का दौरा करने पहुंचे रोहतक से भाजपा सांसद डॉ. अरविंद शर्मा ने किसानों को आश्वासन दिया है कि उनकी पूरी फसल की खरीद की जाएगी.

सरकार की ओर से फसल खरीद के लिए परचेज सेंटर यानी अस्थाई कच्ची मंडिया बनाई गई हैं. जहां किसान आकर अपनी फसल बेचेंगे. लेकिन सरकार के इस फैसले से आढ़ती नाराज चल रहे हैं. आढ़तियों ने फसल खरीद को लेकर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. आढ़तियों ने सरकार द्वारा बनाई गई अस्थाई कच्ची मंडियों में जाने से साफ-साफ इंकार कर दिया है. आढ़तियों का कहना है कि कच्ची मंडियों में ना कोई विशेष प्रबंध हैं और ना ही अब तक बारदाना पहुंचा है. कच्ची मंडियों में किसानों और आढ़तियों की फसल के खराब होने की गुंजाइश अधिक है.

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