हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

गढ़ी सांपला किलोई से पर्चा भरने के बाद बोले सतीश नांगल, 'हुड्डा पहले ही मान चुके हैं हार' - bjp candidate satish nangal

रोहतक की गढ़ी सांपला किलोई सीट भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पारंपरिक सीट कही जाती है. इस बार बीजेपी ने उनके सामने सतीश नांदल को उतारा है. सतीश नांदल ने अपना नामांकन दाखिल किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो पहले ही हार मान चुके हैं.

सतीश नांगल

By

Published : Oct 3, 2019, 9:51 PM IST

रोहतक: गढ़ी सांपला किलोई पूरे प्रदेश की हॉट सीट है और पूरे प्रदेश की निगाहें भी इस सीट पर रहेंगी, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ भाजपा ने सतीश नांदल को मैदान में उतार दिया है. जहां से सतीश नांदल ने अपना नामांकन दाखिल किया और अपना शक्ति प्रदर्शन भी किया.

नांदल ने सांपला कस्बे में पहले एक जनसभा को संबोधित किया और उसके बाद रोड शो करते हुए सांपला एसडीएम कार्यालय पहुंचे. जहां अपना नामांकन दाखिल किया. नांदल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने उन पर जो विश्वास जताया हैं, वे उस पर खरा उतरेंगे और अपने क्षेत्र के विकास के लिए काम करेंगे.

ये भी पढ़ें-हुड्डा के गढ़ में बीजेपी ने सतीश नांदल को दी टिकट, क्या गढ़ी सांपला किलोई में खिलेगा कमल ?

हुड्डा मान चुके हैं हार- सतीश नांदल (बीजेपी प्रत्याशी)
सतीश नांदल ने कहा कि 5 साल भाजपा की सरकार रही है और गढ़ी सांपला किलोई में पूरे प्रदेश की भांति विकास के काम किए गए. जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान विकास के मामले में ये विधानसभा पिछड़ा हुआ था. वहीं उन्होंने हुड्डा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भूपेंद्र हुड्डा तो अपने टिकट के लिए ही संघर्ष कर रहे थे और अब जिस तरह से उन्होंने नामांकन करने का समय बदला है, उससे ये तय है कि वो अपनी हार मान चुके हैं.

सतीश नांदल ने साधा भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर निशाना, देखें वीडियो

गढ़ी सांपला किलोई का इतिहास
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 1982 में हरीचंद हुड्डा और 1987 में श्री कृष्ण हुड्डा से मात खाई. दोनों बार मात देने वाले प्रत्याशी लोकदल के ही थे. वर्ष 1991 में कृष्णमूर्ति हुड्डा ने 23 साल बाद किलोई से कांग्रेस का परचम फहराया. उन्होंने जनता दल के श्रीकृष्ण हुड्डा को पराजित किया.

1996 में किलोई एक बार फिर कांग्रेस के हाथों से न केवल फिसल गई बल्कि तीसरे स्थान पर भी पहुंच गई. मुकाबला इनेलो और हरियाणा विकास पार्टी के बीच था. लेकिन 2000 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहली बार यहां से जीत हासिल की और तब से लेकर अब तक वे किलोई में अंगद के पैर की तरह अपना पैर जमाए हुए हैं.

ये भी पढ़ें-जेजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की पांचवीं लिस्ट, डबवाली नहीं इस सीट से चुनाव लड़ेंगी नैना चौटाला

काफी रोचक होगा मुकाबला
गौरतलब है कि 2014 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अच्छे मार्जन से जीत दर्ज की थी. उन्हें थोड़ी बहुत चुनौती इनेलो के सतीश कुमार नांदल ने दी थी. 2019 का विधानसभा चुनाव काफी रोचक होने की उम्मीद है, क्योंकि सतीश नांदल को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी की अपनी जीत को आश्वस्त बीजेपी सरकार क्या हुड्डा के गढ़ में कमल खिला पाएगी या 2014 की तरह एक बार फिर हुड्डा ही अपने किले पर राज करेंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details