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कुश्ती और निशानेबाजी को कॉमनवेल्थ गेम्स से बाहर करने पर नाराज भूपेंद्र हुड्डा, बोले- इसके खिलाफ उठाएंगे आवाज

साल 2026 में कॉमनवेल्थ गेम्स (commonwealth games 2026) का आयोजन होगा. इस बार निशानेबाजी और कुश्ती जैसे खेलों को इस सीजन में शामिल नहीं किया गया है. जिस पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने प्रतिक्रिया दी है.

Bhupinder Hooda on Commonwealth Games
Bhupinder Hooda on Commonwealth Games

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Published : Apr 15, 2022, 12:47 PM IST

Updated : Apr 15, 2022, 7:29 PM IST

रोहतक: साल 2026 में कॉमनवेल्थ गेम्स (commonwealth games 2026) का आयोजन ऑस्ट्रेलिया में होना है. इस सत्र के लिए प्रारंभिक सूची में जिन 16 खेलों को शामिल किया गया है, उसमें निशानेबाजी और कुश्ती जैसे खेलों को शामिल नहीं किया गया है. जिससे कि हरियाणा के खिलाड़ियों में रोष हैं. वहीं राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर साथ आ खड़े हुए हैं. नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने कुश्ती, शूटिंग और तीरदांजी को कॉमनवेल्थ गेम्स से बाहर करने का विरोध किया है.

भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि वो इसके खिलाफ आवाज (Bhupinder Hooda on Commonwealth Games) उठाएंगे. पूर्व सीएम ने कहा कि हरियाणा खेलों का हब है और इन खेलों को कॉमनवेल्थ गेम्स से बाहर करने का व्यापक असर पड़ेगा. हरियाणा ने दुनिया भर में खेलों की बदौलत अपना नाम कमाया है. गेहूं खरीद पर भी भूपेंद्र हुड्डा ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई के चलते किसानों की लागत बहुत बढ़ गई है. इसलिए गेहूं उत्पादक किसानों को एमएसपी पर 500 रुपये बोनस दिए जाए.

गेहूं खरीद पर दी प्रतिक्रिया: उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ एमएसपी को ना देखे बल्कि किसान की लागत और बेमौसमी बारिश को भी देखे. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से आज अंतरराष्ट्रीय मार्केट में गेहूं के दाम काफी ऊंचे हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत करीब 3500 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच चुकी है. इसका फायदा देश व प्रदेश के किसानों को भी मिलना चाहिए. किसानों को स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के तहत एमएसपी मिलना चाहिए.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) में हरियाणा का सदस्य नहीं होने की वजह से प्रदेश को उसका हक नहीं मिल पा रहा है. बार-बार मांग करने के बावजूद सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है. बिजली संकट पर हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के शासनकाल में कभी बिजली संकट पैदा नहीं हुआ. क्योंकि, उस दौरान प्रदेश में 4 नए पावर प्लांट और एक न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाया गया. आज हरियाणा की उत्पादन क्षमता इतनी है कि वो अन्य राज्यों को भी बिजली दे सकता है, लेकिन सरकार क्षमता के मुताबिक पावर प्लांट से उत्पादन नहीं कर रही है. इसकी वजह से पूरे प्रदेश को बिजली की किल्लत झेलनी पड़ रही है.

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Last Updated : Apr 15, 2022, 7:29 PM IST

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