कुरुक्षेत्र:हरियाणा में बीते कुछ महीनों से कृषि अध्यादेशों को लेकर बवाल जारी है. केंद्र के कृषि अध्यादेशों पर किसान और सरकार आमने-सामने आ चुके हैं. किसान अब सरकार की एक बात भी सुनने को तैयार नहीं हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी से खास बातचीत की.
गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि केंद्र के कृषि अध्यादेश कुछ एक पूंजीपतियों के लिए है. उन्होंने कहा कि अब सरकार जो ढांचा खड़ा करने की कोशिश कर रही है उससे सिर्फ कुछ पूंजीपति ही देश में खाद्य सामग्री खरीद पाएंगे. चढूनी ने कहा कि ये कुछ ही पूंजीपति किसान से फसल खरीदेंगे और फिर अपनी जरूरत के अनुसार काला बाजारी भी की जाएगी.
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भाकियू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ये कृषि अध्यादेश उपभोक्ता और उत्पादक दोनों के लिए ही काफी खतरनाक है. गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अगर इन कृषि अध्यादेशों को लागू किया जाता है तो बीच के जो मुनाफा कमाने वाले लोग हैं उन्हें काफी नुकसान होगा और सारा फायदा अंबानी और अडानी जैसे पूंजीपतियों का होगा.
गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि अगर वर्ल्ड मार्केट के हिसाब से हरियाणा के किसानों की फसल खरीदी जाएगी, तो यहां के किसानों के लिए काफी मुश्किल होगी. उन्होंने कहा कि जो फसल खरीद के रेट विश्व व्यापार संगठन ने तय किए हैं वो हरियाणा के किसानों के लिए काफी कम हैं. इससे किसानों को काफी नुकसान होगा.
भारतीय कियान यूनियन की सरकार को चेतावनी
गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार को चेतावनी दे दी गई है कि 15 सितंबर से जिला मुख्यालयों पर किसान प्रदर्शन शुरू करेंगे. इसी के साथ उन्होंने कहा कि 20 सितंबर को 3 घंटे के लिए पूरे हरियाणा की सड़कों पर जाम किया जाएगा और उसके बाद भी अगर सरकार ने कृषि अध्यादेश को वापस नहीं लिया तो अगली रणनीति तैयार की जाएगी.
भारतीय किसान यूनियन की रैली में हुए लाठीचार्ज के बाद भाजपा डैमेज कंट्रोल करने में जुटी है. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के निर्देशन पर गठित तीन सांसदों की कमेटी ने शनिवार को रोहतक और करनाल में किसानों से बातचीत की. इस पर गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि ये सिर्फ ढकोसला है. उन्होंने कहा कि इस समस्या का हल सांसदों के बस की नहीं है. ये प्रधानमंत्री के हाथ में है. उन्होंने कहा कि ये समस्या केवल हरियाणा की नहीं है, बल्कि पूरे देश के किसानों की है.
किसानों पर लाठीचार्ज कर फंसी सरकार