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रेवाड़ी के लोको हेरिटेज में आपको दिखेगी पुराने भारत की झलक, यहां मौजूद हैं विश्व प्रसिद्ध भाप के इंजन - स्टीम इंजन शहंशाह

रेवाड़ी शहर में बना लोको हेरिटेज पर्यटकों के साथ फिल्म जगत को भी अपनी ओर आकर्षित करता है. यहां गदर एक प्रेम कथा, भाग मिल्खा भाग, सुल्तान, गुरु, की एन्ड का, लव आजकल, वीरा, तेरे नाम, गांधी माई फादर जैसी अनेकों फिल्मों की शूटिंग की जा चुकी है.

Rewari Railway Heritage Museum
रेवाड़ी का लोको हेरिटेज

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Published : Dec 16, 2019, 9:45 PM IST

Updated : Dec 17, 2019, 3:29 PM IST

रेवाड़ी: शहर में बना लोको हेरिटेज पर्यटकों के साथ फिल्म जगत को भी अपनी ओर आकर्षित करता है. इस लोको हेरिटेज की स्थापना 14 अगस्त 2002 में पूर्व रेल मंत्री नीतीश कुमार ने की थी. देश में हुए 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से इस हेरिटेज को केंद्र सरकार की ओर से करीब 12 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी. रेल विभाग ने इस राशि से इस हेरिटेज की कायाकल्प बदलने में कड़ी मेहनत की. जिसकी बदौलत आज ये हेरिटेज बॉलीवुड की पहली पसंद बन गया है.

रेवाड़ी का लोको हेरिटेज, यहां मौजूद हैं विश्व प्रसिद्ध भाव के इंजन, देखें वीडियो

कई सुपरहिट फिल्मों की चुकी है शूटिंग
यहां गदर एक प्रेम कथा, भाग मिल्खा भाग, सुल्तान, गुरु, की एन्ड का, लव आजकल, वीरा, तेरे नाम, गांधी माई फादर जैसी अनेकों फिल्मों की शूटिंग की जा चुकी है.

दूर-दूर से स्टीम इंजन देखने आते हैं पर्यटक
इस हेरिटेज में शक्तिमान, अंगद, शहंशाह, विराट, आज़ाद, सिंध, रेवाड़ी किंग, साहिब, शेर-ए- पंजाब, अकबर और फेयरी क्वीन जैसे भाप के इंजन फिल्मों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं. इतना ही नहीं इन भाप के इंजनों में से अकबर, सुल्तान, आजाद और फेयरी क्वीन तो गिनीज बुक में भी अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं.

सबसे पुराना स्टीम इंजन फेयरी क्वीन
फेयरी क्वीन का निर्माण 1855 में यूनाइटेड किंगडम (इंग्लैंड) में हुआ था. फेयरी क्वीन 40 किलो मीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ता था, लेकिन अब ये स्टीम इंजन काफी पुराना हो चुका है. अब इसकी रफ्तार में कमी आ चुकी है, अब ये 25 किलोमीटर प्रति घंट की रफ्तार से ही दौड़ पाता है. फेयरी क्वीन में 130 हॉर्स पावर का इंजन और इसका वजन 26 टन है. ये स्टीम इंजन आज भी रेल की पटरियों पर दौड़ लगाकर अपनी सिटी से लोगों को अपनी और आकर्षित कर रहा है. भाप इंजन से जुड़ी चीजों को यहां बने म्यूज़ियम में सुरक्षित रखा गया है.

भाप इंजनों पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री
इस हेरिटेज में लोगों के भाप से चलने वाले इंजन के इतिहास की जानकारी देने के लिए एक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की गई है. जिसमें स्टीम इंजन का पूरा इतिहास एक फिल्म के माध्यम से दर्शाया गया है.

टॉय ट्रेन बच्चों को करती है आकर्षित
रेल के पुराने डिब्बे बच्चों के मनोरंजन के लिए छुक-छुक करती टॉय ट्रेन और यहां की हरियाली भी पर्यटकों पर अपना प्रभाव छोड़ती है. रेल विभाग ने यहां पर्यटकों के खान-पान के लिए एक वातानुकूलित कैंटीन की भी व्यवस्था की है.

आप यहां ऐसे पहुंच सकते हैं

आपको बता दें की ये लोको हेरिटेज देश की राजधानी दिल्ली से 85 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है. देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए दिल्ली का पालम हवाई अड्डा इसके सबसे समीप है. जहां से सड़क मार्ग से आप यहां तक आसानी से पहुंच सकते हैं. देश में अब भाप से चलने वाले जीवंत स्टीम इंजन और कहीं नहीं हैं. अगर आप भाप इंजन देखने का शौकीन है और उनके इतिहास के बारे में जानना चाहते है यहां जरूर आएं.

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Last Updated : Dec 17, 2019, 3:29 PM IST

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