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आरक्षण को लेकर भड़की कांग्रेस, कैप्टन अजय यादव बोले- ये है BJP का संविधान पर प्रहार

रेवाड़ी में आज कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने आरक्षण को लेकर फिर आवाज बुलंद की. पूर्व बिजली मंत्री अजय यादव के निवास पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई गई थी.

rewari congress protest over reservation
आरक्षण को लेकर फिर भड़की कांग्रेस

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Published : Feb 16, 2020, 3:18 PM IST

रेवाड़ीःआरक्षण को लेकर एक बार फिर कांग्रेसी कार्यकर्ता सड़कों पर उतर गए हैं. रेवाड़ी में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार की अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्गों के प्रति अपनाई गई असंवैधानिक नीति एवं मुद्दों के खिलाफ रोष प्रकट किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

बैठक के बाद विरोध में उतरे कार्यकर्ता

पूर्व बिजली मंत्री अजय यादव के निवास पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक के बाद कार्यकर्ता विरोध करते हुए जिला सचिवालय पहुंचे. जहां उन्होंने डीसी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा.

आरक्षण को लेकर फिर भड़की कांग्रेस

सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण पर हाल ही में आए फैसले को कांग्रेस ने बीजेपी का षड्यंत्र करार दिया है. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकार की प्लानिंग के तहत ये फैसला लिया गया है. जिसके बाद हरियाणा कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए इसके खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया.

बीजेपी ने उड़ाया गरीबों का मजाक- अजय यादव

पूर्व मंत्री अजय यादव ने कहा कि वो किसी भी सूरत में इसको बर्दाश्त नहीं करेंगे. आज महंगाई चरम पर है और सरकार द्वारा रसोई गैस में 149 रुपये की बढ़ोतरी का इजाफा कर गरीबों की रसोई पर अतिरिक्त भार डाल रही है. उन्होंने कहा कि ये सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए गरीबों का मजाक उड़ा रही है. जिसको कांग्रेस पार्टी किसी ही भी सूरत में सहन नहीं करेगी.

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अंबेडकर के संविधान का अपमान- अजय यादव

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण पर मौलिक अधिकार नहीं है, इसको कोई भी राज्य लागू कर सकता है. उन्होंने कहा कि बाबा भीमराव अंबेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान पर ये प्रहार है जिसका कांग्रेस पार्टी विरोध करती है.

क्या है मामला

7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है और इसे लागू करना या न करना सिर्फ राज्य सरकारों के विवेक पर निर्भर करता है.

कोर्ट की टिप्पणी के बाद केन्द्र सरकार पर पुनर्विचार याचिका का दबाव बढ़ गया. कांग्रेस के साथ ही सरकार के विपक्षी दलों ने भी बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है. आरक्षण समर्थकों की मांग है कि संविधान की नौंवी अनुसूची में आरक्षण को शामिल कर इस विवाद को हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाए.

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