रेवाड़ी: प्रदेश में सभी सरकारी और निजी स्कूल आंशिक रूप से खुल चुके हैं. इसके लिए सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए हैं. सभी अध्यापकों को अपनी कोविड-19 टेस्ट कराकर ही स्कूल में आना पड़ेगा. जिसकी रिपोर्ट नेगिटिव आएगी, वही टीचर स्कूल में पढ़ा सकेगा.
इस बीच कोरोना टेस्टिंग को लेकर निजी स्कूलों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. अध्यापकों का कहना है कि सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. बता दें कि हरियाणा में प्राइवेट अध्यपकों को 1600 रुपये देकर कोरोना जांच करवाने का आदेश सरकार ने जारी किया है.
'हरियाणा सरकार कर रही सौतेला व्यवहार, राजस्थान से करवाना पड़ रहा फ्री कोरोना टेस्ट' निजी स्कूलों के अध्यापकों ने कहा कि सरकार सरकारी स्कूलों के अध्यापकों का फ्री में कोरोना टेस्टिंग करा रही है. इतना ही नहीं सरकार आम लोगों का भी फ्री में कोरोना टेस्टिंग करा रही है. लेकिन सरकार प्राइवेट अध्यपकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.
ये भी पढ़ें- भिवानी में बाजरे और मूंग की बंपर खरीद, अब तक 1737 मीट्रिक टन बाजरे की हुई खरीद
उन्होंने कहा कि हरियाणा में फीस लगने की वजह से निजी स्कलू के अध्यापक अब अपनी कोविड-19 जांच राजस्थान से करवा रहे हैं. प्राइवेट अध्यापकों ने कहा कि अभी तो 25 फीसदी स्टाफ ही स्कूल आ रहा है. जब बाकी स्टाफ आएंगे तो उन्हें भी रुपये देकर जांच करवानी होगी. इस लिए उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनकी जांच भी राजस्थान की तरह निशुल्क की जानी चाहिए.