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रेवाड़ी: प्राइवेट स्कूल वेलफेयर का सुझाव- नर्सरी तथा प्ले स्कूल की दी जाए स्थाई मान्यता - शिक्षा नियम 134ए

प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार से शिक्षा नियमावली 2003 में संशोधन करने के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को कई सुझाव दिए हैं.

Private School Welfare Rewari
प्राइवेट स्कूल वेलफेयर रेवाड़ी

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Published : Feb 22, 2020, 11:48 PM IST

रेवाड़ी: प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार से शिक्षा नियमावली 2003 में संशोधन करने के लिए सुझाव दिए हैं. निजी स्कूल संचालकों की रेवाड़ी के सेक्टर-5 स्थित एक होटल में बैठक हुई. इसमें विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श करने के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को सुझाव भेजे गए.

शिक्षा नियमावली 2003 में संशोधन के लिए सुझाव, देखें वीडियो

इनमें शिक्षा नियम 134ए को समाप्त कर शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई लागू किया जाए. क्योंकि इसका दुरुपयोग हो रहा है. स्कूल मान्यता के समय भवन सुरक्षा प्रमाण पत्र की अवधि 1 वर्ष की बजाय 10 वर्ष होनी चाहिए. क्योंकि नया भवन 10 वर्ष तक पूर्ण सुरक्षित होता है.

इसी प्रकार अग्नि सुरक्षा पत्र भी अवधि की भी अवधि 1 वर्ष के स्थान पर कम से कम 5 वर्ष रखनी चाहिए. पानी शौचालय स्वच्छता प्रमाण पत्र की अवधि भी 5 वर्ष होनी चाहिए. क्योंकि सभी प्राइवेट स्कूल स्वच्छता का पूरा ध्यान देते हैं. मान्यता प्राप्त स्कूलों को नर्सरी, प्लेस्कूल की मान्यता शिक्षा विभाग द्वारा स्थाई रूप से देना चाहिए. हर वर्ष मान्यता का प्रावधान नहीं होना चाहिए. जिस वर्ष का जितने समय के लिए पट्टा है उसे उस समय तक के लिए स्थाई मान्यता होनी चाहिए.

10 वर्ष की अवधि समाप्त होनी चाहिए पुराने मान्यता प्राप्त स्कूलों का पट्टा पूरा होना चाहिए. पट्टा दोबारा कराने के बाद मान्यता का नवीनीकरण कर देना चाहिए. मान्यता के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया कर दी जाए. सर्कुलर जिन स्कूलों के फॉर्म नंबर दो पर निरीक्षक कार्य चल रहा है उन्हें ऑफलाइन स्वीकार किया जाए. जो स्कूल पहले से मान्यता प्राप्त हैं उन्हें सही एक्जिस्टिंग माना जाए.

निजी स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान डॉ. सूर्य कमल यादव ने बताया कि विद्यालय शिक्षा निदेशालय की ओर से निर्देश थे कि स्कूल शिक्षा नियमावली 2003 में सुधार और बदलाव के लिए सुझाव दिए जाए. इसके तहत उपलब्ध निजी स्कूल संचालकों और प्रतिनिधियों द्वारा बैठक में दिए सुझाव और विचार पर विचार-विमर्श के बाद निदेशालय को भेजी गई है. स्कूल संचालकों ने इसके अलावा भी कई सुझाव दिए हैं जिन्हें अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा.

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