रेवाड़ी: शमशान घाट का नाम आते ही बच्चे तो क्या बड़े के दिमाग में भी सिरहन दौड़ने लगती है. लेकिन आप ये कल्पना भी नहीं कर सकते कि शमशान घाट में सैकड़ों की संख्या में सुबह शाम लोग व्यायाम करने तथा स्वच्छ आबोहवा लेने आएं.
गांव चांदावास के शमशान घाट में बच्चे, वृद्ध और महिलाएं हर रोज आते हैं, ना कोई डर ना कोई हिचक देर रात तक बच्चे व बड़े पार्क में घूमते व व्यायाम करते देखे जा सकते हैं. गांव चांदावास के इस शमशान घाट को पार्क में तब्दील करने की जिद थी इसी गांव के रहने वाले सुनील की.
रेवाड़ी का अनोखा शमशान घाट, यहां लोग आते हैं घूमने और व्यायाम करने. कुछ साल पहले सुनील के छोटे भाई की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. जब वह परिजनों के साथ शमशान घाट पहुंचे तो शमशान घाट की दशा दयनीय थी. चारों तरफ जंगल पेड़-पौधे कांटेदार झाड़ियां लगी हुई थी. साथ ही कुछ ग्रामीणों ने शमशान भूमि की जमीन पर अवैध कब्ज़ा भी किया हुआ था.
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अंतिम संस्कार के वक्त सुनील को पैर में एक कांटा लग गया तभी उन्होंने प्रण लिया कि भगवान के दिए कांटे को तो वह नहीं निकाल सकते हैं लेकिन आज के बाद किसी को भी शमशान घाट में कांटा नहीं लगने देंगे. सबसे पहले उन्होंने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा कि सब अपने-अपने कब्जे यहां से हटा लें, कुछ नहीं मानें तो पुलिस की मदद ली गई.
उसके बाद लाखों रुपए खर्च करने के बाद आज ये शमशान घाट ऐसा बनाया गया कि हर ओर ये चर्चा का विषय बना हुआ है. न कोई सरकारी अनुदान, ना किसी से कोई चंदा, बतौर सुनील ने अपनी कमाई में से पैसा लगाकर इसको तैयार किया. बकायदा एक व्यक्ति को भी पार्क की देखरेख के लिए भी लगाया हुआ है. सुनील ने बताया कि लाइटें लगाकर अभी इसे और भी सुंदर बनाया जाएगा.
एक व्यक्ति की जिद्द ने शमशान घाट की तस्वीर ही बदल कर रख दी. पैर में एक कांटा लगा और हर तरफ फूल बो दिए. सुनील लोगों के लिए एक मिसाल बन गए हैं. हर व्यक्ति ऐसी ही ठान लें तो गांव तो क्या शहर को भी जन्नत बनाया जा सकता है.
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