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पूर्व बिजली मंत्री कैप्टन अजय यादव ने एम्स की घोषणा को बताया चुनावी जुमला, राव इंद्रजीत को दी बहस की चुनौती

रेवाड़ी में पूर्व बिजली मंत्री कैप्टन अजय यादव ने कहा कि इस तरह अंतरिम बजट में एम्स जैसी परियोजना की झूठी घोषणा कराकर वाहवाही लूटने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है. सच्चाई तो ये है कि जब क्षेत्र के लोग 124 दिनों तक एम्स की मांग को लेकर भूखे प्यासे धरने पर बैठे थे तो राव इंद्रजीत वहां शक्ल दिखाने तक नहीं गए. कैप्टन अजय आज दिल्ली-जयपुर हाईवे पर स्थित एक रेस्त्रां में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.

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Published : Feb 6, 2019, 5:49 PM IST

अजय यादव

रेवाड़ी: पूर्व बिजली मंत्री कैप्टन अजय यादव ने स्थानीय सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनमें दम है तो मेरे साथ एक घंटा बहस करके दिखाएं.

पूर्व बिजली मंत्री कैप्टन अजय यादव


रेवाड़ी में पूर्व बिजली मंत्री कैप्टन अजय यादव ने कहा कि इस तरह अंतरिम बजट में एम्स जैसी परियोजना की झूठी घोषणा कराकर वाहवाही लूटने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है. सच्चाई तो ये है कि जब क्षेत्र के लोग 124 दिनों तक एम्स की मांग को लेकर भूखे प्यासे धरने पर बैठे थे तो राव इंद्रजीत वहां शक्ल दिखाने तक नहीं गए. कैप्टन अजय आज दिल्ली-जयपुर हाईवे पर स्थित एक रेस्त्रां में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.


उन्होंने एम्स की घोषणा को चुनावी जुमला बताया और कहा कि अब तक देश में जितने भी एम्स खुले हैं. वहां सिवाय ओपीडी के कुछ नहीं चल रहा और रही मनेठी एम्स की बात तो आचार संहिता लगने में अब चंद समय बाकी रह गया है. ऐसे में 12 फरवरी को रिमोट दबाकर एम्स का शिलान्यास कराना बेमानी सा लगता है. उन्होंने दावा किया कि मनेठी में अगर एम्स बनेगा तो कैप्टन अजय यादव ही बनवाएगा.


कैप्टन यादव यहीं नहीं रुके. राव इंद्रजीत सिंह द्वारा अपनी बेटी को राजनीति में स्थापित करने को लेकर उन्होंने कहा कि मेरा बेटा भी पिछले 15 सालों से राजनीतिक संघर्ष कर रहा है, लेकिन कुछ लोग पैराशूट से आकर राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं.


तीन दिन पूर्व पटौदी में आयोजित परिवर्तन रैली में उमड़ी भीड़ के लिए उन्होंने अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं का आभार जताया और कहा कि रैली में उमड़े जनसमूह से घबराकर ही राव इंद्रजीत ने एम्स का श्रेय लेने के लिए मेगा रोड शो का यह प्रपंच रचा.


उन्होंने कहा कि पिछले 4 सालों के दौरान इलाके में कोई काम नहीं हुआ. यह सरकार सिर्फ नेताओं को झूठे मामलों में दबाने की कोशिश कर रही है. बजट में किसानों को 6 हजार रुपये देने की घोषणा भी ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. देना ही था तो फसल के भाव की बात करते, स्वामीनाथन लागू करते.

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