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डिजिटल मार्केटिंग से घाटे में जा रही हैंडलूम डोमेस्टिक मार्केट, 90 से घटकर 50 हजार करोड़ पर सिमटा बाजार

पानीपत का स्थानीय घरेलू बाजार कोरोना के बाद से नुकसान झेल रहा है. पानीपत की हैंडलूम डोमेस्टिक मार्केट डिजिटल मार्केटिंग की वजह से घाटे में जा रही है.

panipat handloom market
पानीपत की हैंडलूम डोमेस्टिक मार्केट

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Published : Dec 29, 2022, 1:17 PM IST

डिजिटल मार्केटिंग से घाटे में जा रही हैंडलूम डोमेस्टिक मार्केट, 90 से घटकर 50 हजार करोड़ पर सिमटा बाजार

पानीपत: हरियाणा के राजस्व में बड़ा योगदान देने वाली टेक्सटाइल नगरी का घरेलू बजार (panipat domestic market) 90 हजार करोड़ से घटकर 45 हजार करोड़ पर सिमट गया है. दरअसल कंबल एवं टेक्सटाइल उद्यमियों ने ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ करार कर लिया और खरीदार भी ई-कॉमर्स कंपनियों से ही माल खरीद रहा है, नतीजा पानीपत में टेक्सटाइल और कंबल की दुकान खोलकर बैठा थोक व्यापारी नुकसान झेल रहा है.

मार्केट (panipat handloom market) स्थिति की बात की जाए तो कंबल की मार्केट 15 हजार करोड़ से घटकर 5 हजार करोड़, बेडशीट की मार्केट 8 हजार करोड़ से घटकर तीन हजार करोड़ पर आ गई है. टेक्सटाइल के अन्य सभी उत्पाद ई-कॉमर्स कंपनी से जुड़ चुके हैं, इसलिए ग्राहक दुकानों पर जाने की बजाए ई-कॉमर्स कंपनियों को ऑर्डर ऑनलाइन ही दे रहा है.

सर्दियों के मौसम में कभी यहां भीड़ हुआ करती थी, आज दुकानदार ग्राहकों की राह देखते रहते हैं.

कंबल मार्केट के हॉलसेल लोगों का कहना है कि 2019 में कोरोना वायरस के कारण जब लॉकडाउन लगा था, तो बाहर से आने वाले व्यापारियों ने ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ ऑनलाइन ऑर्डर करने शुरू कर दिए थे. जब अनलॉक की स्थिति बनी तो पानीपत की होलसेल की पचरंगा मार्केट व्यापारी ग्राहक बिल्कुल गायब हो गया. सर्दी के सीजन में पानीपत में मिंक कंबल की खरीदारी के लिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान के व्यापारियों की भीड़ इन दिनों बाजार में हुआ करती थी, लेकिन इस बार हालत उलट हैं.

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पानीपत की मशहूर कंबल की मार्केट पचरंगा मार्केट इन दिनों ग्राहकों की राह देख रही है. पानीपत की हॉलसेल मार्केट का व्यापार 50% तक घट चुका है. कंबल मार्केट के प्रधान अशोक नारंग का कहना है कि ई- कॉमर्स से बड़े उद्यमी करोड़ों रुपये कमा रहे हैं. उन्हें विदेशों से मोटे ऑर्डर मिल रहे हैं, लेकिन उनके दुकानदार आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं. ये ही वक्त होता है जब दुकानदार अपनी रोजी रोटी के लिए पैसे जोड़ता है, लेकिन दो साल में पानीपत की घरेलू मार्केट आधी से कम हो चुकी है.

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