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कोरोना की दूसरी लहर में 'रिवर्स' हुई जिंदगी, भूखे मरने की कगार पर कुली, वेंडर और रिक्शा चालक - पानीपत रिक्शा चालकर लॉकडाउन असर

प्रदेश में कोरोना के खतरे को देखते हुए एक बार फिर लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन के लगने से ना सिर्फ प्रदेश के लाखों लोगों पर आजिविका का संकट मंडराने लगा बल्कि घर वापसी करने वाले प्रवासियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं.

panipat railway station lockdown
बस स्टैंड और रेलवे स्टेन पर पसरा सन्नाटा

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Published : May 21, 2021, 10:09 PM IST

पानीपत: कोरोना ने एक बार फिर पुराने दिन याद दिला दिए हैं. ऐसा लग रहा है मानो सिर्फ साल और महीने बदले हों, जबकि हालात तो पिछले साल जैसे ही हैं. बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए हरियाणा सरकार ने एक बार फिर लॉकडाउन क्या लगाया. प्रदेश के लाखों लोगों पर ना सिर्फ आजिविका का संकट मंडराने लगा बल्कि घर वापसी करने वाले प्रवासियों की भी मुश्किलें बढ़ गई.

लॉकडाउन का असर रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों पर भी देखने को मिल रहा है. अब सिर्फ इक्का-दुक्का ट्रेनें ही पटरी पर दौड़ रही हैं तो वहीं सड़कों पर हरियाणा रोडवेज की बसों की संख्या भी ना के बराबर ही हो गई है. रेलवे स्टेशन पर बैठे किशन चंद नाम के बुजुर्ग कुली ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वो लगभग 600 से 700 रुपये प्रतिदिन कमा लेता था, लेकिन अब उसकी आजीविका मात्र 10 फीसदी ही रह गई है.

कोरोना की दूसरी लहर में 'रिवर्स' हुई जिंदगी, भूखे मरने की कगार पर कुली, वेंडर और रिक्शा चालक

जब स्टेशन पर दुकान लगाने वाले विजय नाम के वेंडर से बात की गई तो उसने भी यही कहा कि कोरोना और लॉकडाउन ने उसका काम ही चौपट कर दिया है. वो तो अब सिर्फ लॉकडाउन हटने का ही इंतजार कर रहा है.

वहीं ऐसा ही हाल देखने को मिला रिक्शा चलाने वालों का. जिनके आगे रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. एक रिक्शा चालक ने बताया कि सवारी नहीं मिल रही है. जिसकी वजह से वो रिक्शा का किराया तक नहीं निकाल पा रहा है.

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वहीं रेलवे और बस सेवा बंद होने से इसका असर यात्रियों पर साफ देखने को मिल रहा है. खासकर उन यात्रियों पर जिन्हें हरियाणा से दूसरे राज्य जाना है. दूसरे राज्य जाने वाले यात्रियों को सीधी बस नहीं मिल रही है. उन्हें बस बदल-बदलकर सफर करना पड़ रहा है.

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राजेंद्र नाम के बस कंडक्टर ने कहा कि बसें किसी एक रूट पर नहीं चल रही हैं. जिस रूट पर सवारियां मिल जाती हैं बसें उसी रूट पर चलने लगी हैं. ऐसा होने से सबसे ज्यादा परेशानी यात्रियों को उठानी पड़ रही है.

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