पानीपत: करीब एक दशक से पानीपत के खुखराना गांव के लोग मौत के साए में जी रहे हैं. ये कहने में कोई हिचक नहीं कि इन ग्रामीणों को ये 'मौत' पिछले एक दशक में मौजूद सरकारों और प्रशासन की तरफ से बांटी गई है. दरअसल ये गांव पानीपत के थर्मल पावर और सीमेंट प्लांट क्षेत्र के पास है. पूरे गांव में हर वक्त थर्मल पावर पावर प्लांट से उड़ने वाली राखी और सीमेंट फैक्ट्री से निकलने वाली महीन धूल उड़ती रहती है. जो इन गांव वालों के सांस और भोजन के जरीए शरीर में पहुंच रही है.
हालांकि लंबी लड़ाई और बड़ी जद्दोजहद के बाद प्रशासन और सरकार ने इस गांव को शिफ्ट करने का फैसला भी ले लिया था. इस गांव को सौंधापुर में शिफ्ट करने की तैयारी भी कर ली. बकायदा तत्कालीन परिवहन और जेल मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने स्थानीय प्रशासन के साथ गांव में हवन किया और आधारशिला रखी. उस समय कृष्ण लाल पंवार ने गांव वालों को भरोसा भी दिलाया थी कि ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए 9 करोड़ रुपये भी दिए जाएंगे.
गांव शिफ्ट करने के लिए फाइलें चलीं, सरकार और प्रशासन ने हवन यज्ञ कर अपने सिर से बोझ तो उतार दिया, लेकिन परिणाम हुआ ढाक के तीन पात. अभी भी गरीब ग्रामीणों को उनका आशियाना नहीं मिला, जिससे लोगों में नाराजगी है. गुरुवार को खुखराना की महिलाएं उपायुक्त से मिलने पहुंची, लेकिन उपायुक्त के नहीं होने से के चलते उनकी मुलाकात नहीं हो पाई.