पानीपत: आम आदमी खून पसीने की मेहनत से धन-दौलत और सुविधाओं की व्यवस्था करता है, ताकि वो सूकून भरी जिंदगी जी सके, लेकिन इसी समाज में कुछ ऐसे तत्व हैं जो बिना मेहनत को सभी ऐशो आराम चाहते हैं और चोरी जैसी अनैतिक वारदातों को अंजाम देते हैं. ऐसे में सेवा, सुरक्षा और सहयोग के नारे के साथ हरियाणा पुलिस आम लोगों का सहारा बनती है.
चोरी की वारदातों पर होता है तेजी से काम
पिछले कुछ सालों में चोरी की वारदातें अचानक बढ़ने लगी हैं, लेकिन राहत की बात है कि हरियाणा पुलिस उन वारदातों का उतनी ही तेजी से खुलासा भी रही है. पानीपत पुलिस की माने तो कुछ पेचीदा मामलों को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी मामलों को सुलझाने में पुलिस ने सफलता हासिल की है.
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पिछले साल तीन करोड़ अठ्ठासी लाख रुपये की हुई रिकवरी
पानीपत में साल 2020 में अगर चोरी की वारदातों पर नजर डाला जाए. तो पुलिस रिकॉर्ड में कुल 981 मामले दर्ज हुए हैं. इन वारदातों को अंजाम देने के आरोप में पुलिस ने 307 लोगों को गिरफ्तार किया है. वहीं तीन करोड़ अठ्ठासी लाख और 54 हजार 98 रुपये की रिकवरी की है.
चोरी के सामान को पुलिस कैसे करती है रिकवर, देखिए रिपोर्ट पुलिस ने इस साल 13 जनवरी को शहर में हुई सत्तर लाख रुपये की चोरी की वारदात का भी खुलासा कर दिया है. पुलिस ने इस मामले में सारे सामान की रिकवरी भी कर ली और चोरों को भी गिरफ्तार कर लिया है.
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चोरों से सामान रिकवर करना है मुश्किल काम- डीएसपी
प्रदेश में चोरों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान भी चलाती है, चोरों पर कार्रवाई भी होती है और चोरों को पकड़ भी लिया जाता है, लेकिन उनसे सामान रिकवर कर पाना काफी मुश्किल हो पाता है, अगर सामान रिकवर भी हो जाए तो रिकवरी किया गया सामान उसके असली मालिक तक पहुंचाने में पुलिस को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है.
पानीपत जिले के हेड क्वार्टर डीएसपी सतीश वत्स का कहना है. अक्सर चोर चोरी का सामान अपने पास नहीं रखते, वो किसी दूकानदार को बेच देते हैं और फिर वो दुकानदार किसी ग्राहक को बेच देता है, ऐसे में चोरी का सामान रिकवरी करने में परेशानी होती है.
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असल मालिक को हैंडओवर करने की प्रक्रिया है काफी जटिल
डीएसपी सतीश वत्स ने बताया कि अगर पुलिस सामान रिकवर भी कर लेती है तो वो सामान के असल मालिक को ढूंढ़ पाना मुश्किल हो जाता है. सामान आईडेंटिफाइड होने तक के प्रोसीजर की प्रक्रिया जटिल है. तब तक वो सामान पुलिस माल खाने में जमा रहता है. जब पूरी प्रक्रिया हो जाती है तब असल मालिक को कोर्ट से सुपुर्द किया जाता है, तब तक ज्यादातर मामले में चोरी हुए सामान की वैल्यू उतनी नहीं रह जाती, जितना समय और पैसा उसे रिकवर करने और असल मालिक तक पहुंचाने में खर्च कर दिया जाता है.