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हरियाणा का नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर गरीबी के कारण बना सिक्योरिटी गार्ड, सरकार से मदद की आस - एकता कॉलोनी पानीपत

पानीपत का नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर (Panipat volleyball players) सोहन का जीवन संघर्ष से भरा हुआ है. सोहन की प्रतिभा का लोहा ऐसा है कि उसने जिला स्तर से नेशनल स्तर तक करीब 50 पदक जीते हैं और हालात ने उसे सिक्योरिटी गार्ड बना दिया है.

Panipat volleyball players
हरियाणा का नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर गरीबी के कारण बना सिक्योरिटी गार्ड

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Published : Feb 16, 2023, 6:29 PM IST

हरियाणा का नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर गरीबी के कारण बना सिक्योरिटी गार्ड

पानीपत: देश ही नहीं विदेशों में भी हरियाणा की पहचान इसके खिलाड़ियों से है. यहां के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का नाम रोशन करने की चाहत रखते हैं. हरियाणा के खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा को कई बार साबित भी किया है, लेकिन कई ऐसे भी खिलाड़ी हैं, जो प्रतिभाशाली होने के बावजूद गरीबी और संसाधनों की कमी के कारण पिछड़ रहे हैं. गरीबी के कारण उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर नहीं मिल रहा है. कुछ ऐसी ही कहानी है, पानीपत के सोहन की. जिन्होंने नेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल सहित करीब 50 मेडल जीते हैं, लेकिन गरीबी के कारण वे सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने के साथ अपने सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद में जुटे हैं.

सोहन ने जिला स्तर से नेशनल स्तर तक करीब 50 पदक जीते हैं.

एकता कॉलोनी पानीपत के रहने वाले सोहन वॉलीबॉल नेशनल प्लेयर हैं. जूनियर नेशनल में सोहन ने अपनी टीम को जीता कर गोल्ड मेडल भी हासिल किया है. राज्य स्तरीय कई मेडल इस खिलाड़ी ने जीते हैं. लेकिन आज तक इस युवक को सरकार द्वारा कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई. 2015 में सोहन को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी गई थी, लेकिन आज अनदेखी और गरीबी के कारण वह दिन-रात मेहनत कर रहा है. रात में सोहन सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता है.

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इसकी कमाई से ही वह पढ़ाई, खेल और परिवार का खर्च निकाल पाता है. इस दौरान पानीपत के वॉलीबॉल खिलाड़ी सोहन की कई बार उनके कोच ने आर्थिक मदद भी की है. 2019 में पिता का साया सिर से उठने के बाद चार बहन भाइयों में दूसरे नंबर पर आने वाला सोहन खेल और पढ़ाई से दूर हो गया था. अब सोहन ने एक बार फिर अपने करियर को बनाने के लिए खेलना शुरू किया है. नेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल सहित 50 मेडल जीतने वाला सोहन गरीबी के कारण संघर्ष कर रहा है.

हरियाणा का नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर गरीबी के कारण बना सिक्योरिटी गार्ड

सोहन रात को सिक्योरिटी गार्ड, दिन में एक स्टूडेंट और शाम को एक खिलाड़ी के रूप में दिखाई देते हैं. सरकार की अनदेखी के कारण यह खिलाड़ी जिला, राज्य और नेशनल स्तर पर दर्जनों मेडल और सर्टिफिकेट हासिल करने के बावजूद भी दर-दर भटक रहा है. सोहन ने कई बार स्पोर्ट्स कोटे के तहत सरकारी नौकरी के लिए प्रयास किए लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. सोहन की मां का कहना है कि वह मेहनत मजदूरी कर सोहन की पढ़ाई और खेल का खर्चा निकालती थी.

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सोहन से यह नहीं देखा गया और वह खुद भी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगा है. परिवार के साथ किराए पर रहने वाले सोहन का कहना है कि उसका सपना बड़े स्तर का खिलाड़ी बनना है लेकिन गरीबी और संसाधनों की कमी के कारण उनका संघर्ष खत्म नहीं हो रहा है. कई बार कोशिश करने के बावजूद न तो उसे नौकरी मिली और न ही प्रदेश सरकार की तरफ से कोई आर्थिक दी गई.

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