पानीपत: काेरोना और किसान आंदोलन के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए पानीपत टोल प्लाजा के करार की अवधि एक साल बढ़ा दी गई है. 2026 में इसका करार खत्म होने वाला था जो अब 2027 तक कर दिया गया है. यानि मुसाफिरों को एक साल और टोल का खर्च उठाना पड़ेगा. जुलाई 2008 में 421.50 करोड़ रुपये की लागत से ओवरब्रिज का निर्माण कराया गया था. तभी से सेक्टर-18 के पास एलएंडटी कंपनी ने टोल प्लाजा बनाकर टैक्स वसूली शुरू की थी.
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पानीपत टोल प्लाजा की कमाई-पिछले 15 साल से शहरवासी ओवरब्रिज की वजह से जीटी रोड पर लगने वाला जाम झेल रहे हैं. एलएंडटी कंपनी टोल प्लाजा पर पानीपत शहरवासियों से औसतन डेढ़ से दो लाख रुपये प्रतिमाह टोल टैक्स वसूल रही है. जबकि कंपनी की रोजाना आय 28 से 30 लाख रुपये है. 2008 में जब टोल शुरू हुआ था तो पहले महीने कंपनी ने 1.41 करोड़ रुपए टोल कलेक्शन किया था, जो आज बढ़कर 8.50 करोड़ रुपये प्रतिमाह हो चुका है.
किसान आंदोलन के चलते बंद था टोल- पानीपत टोल प्लाजा का करार 2026 तक था जो अब अब बढ़कर 2027 तक हो चुका है. 2020 में किसान आंदोलन की वजह से सालभर टोल प्लाजा बंद थे. वाहन चालकों को लगा कि सालभर टोल में छूट मिलने से उन्हें राहत मिली है, लेकिन कंपनी ने किसान आंदोलन के कारण टोल प्लाजा बंद रहने की स्थिति को बड़े नुकसान का कारण बताया जिसे एनएचएआई के संज्ञान में लाकर अनुबंध को एक साल की समयावधि के लिए बढ़वा लिया.