पानीपत:भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद से चीनी सामान के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ने लगी है. इसी की पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम ने देश के सबसे बड़े टेक्सटाइल हब पानीपत का रूख किया.
देश का सबसे बड़ा टेक्सटाइल हब पानीपत
पानीपत आज देश का सबसे बड़ा टेक्सटाइल हब बनकर उभरा है. आंकड़े इस बात की गवाही खुद दे रहे हैं. हरियाणा से सालाना 1.3 बिलियन यूएस डॉलर का रेडीमेड कपड़ों का निर्यात होता है. हरियाणा के पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, हिसार और सोनीपत जैसे जिलों ने एशिया के सबसे बड़े कपड़ा केंद्र के रूप में खुद को विकसित किया है. प्रदेश के कपड़ा उद्योगों में 10 लाख श्रमिक काम करते हैं. साल 2019 में 607.52 मिलियन यूएस डॉलर के कपड़ों का निर्यात हरियाणा से हुआ और सिर्फ 2019 में अप्रैल-सितंबर के बीच 388.21 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार हुआ था.
चीनी सामान का बहिष्कार करना कितना संभव?
पड़ोसी देश चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के बीच देश में चीनी सामान के बहिष्कार की मांग उठने लगी है. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम पानीपत में टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े बड़े व्यापारियों से इस पर बात की. जहां पता चला कि पानीपत में हर साल कपड़े से जुड़ा करोड़ों रुपये का कारोबार चीन से होता है, फिर भी यहां के व्यापारी चीन के सामान के बहिष्कार के लिए तैयार हैं.
ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान उद्योगपतियों ने बताया कि पानीपत में करोड़ों रुपये का कपड़े का कारोबार है. पानीपत से देश, दुनिया में कंबल, चादर, बेडशीट आदि का व्यापार किया जाता है. बेडशीट, कंबल और धागा बनाने वाली 75% मशीनें चीन से आती हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि पानीपत का 60% उद्योग चीन पर निर्भर है. इसके बाद भी वो चीन के सामान का विरोध करने को तैयार हैं. उनका कहना है कि वो मशीन आदि अन्य देशों से खरीद सकते हैं. या सरकार मशीन बनाती है तो उनके लिए और भी ज्यादा अच्छा रहेगा.