पानीपत: पराली से होने वाले प्रदूषण और घटते भूजल स्तर को देखते हुए बडौली गांव के किसान (Panipat farmer suresh) ने कुछ ऐसा किया कि वो आज दूसरे किसानों के लिए मिसाल बना हुआ है. पानीपत के किसान सुरेश सिरदर्द बनी पराली का इस्तेमाल खेत की उर्वरक शक्ति बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. पराली की वजह से सुरेश प्रति एकड़ में 25 क्विंटल गेहूं या धान की फसल उगा लेता है.
किसान सुरेश का कहना है कि वो सुपर सीडर मशीन की मदद से पराली को बिना जलाए ही खेतों में मिला देते हैं. जिससे पराली डी कंपोस्ट हो जाती है. इससे खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ाती है. जिससे कि फसल की पैदावार पर सकारात्मक असर पड़ता है. किसान का मानना है कि सुपर सीडर मशीन से पराली जलाने की समस्या भी दूर हो जाती है और प्रदूषण भी नहीं फैलता. सबसे अच्छी बात ये है कि इससे फसल की पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है. किसान सुरेश पानी की कमी को लेकर भी सजग है.
पानी की बढ़ती समस्या को देखते हुए सुरेश खेतों में पानी पाइप लाइन विधि से देता है. धान की फसल में सबसे जायदा जरूरत पानी की होती है, तो सुरेश पानी की बचत के लिए धान की बिजाई DSR विधि (Direct Seeding Of Rice) से करता है. किसान का कहना है की धान की पारंपरिक रोपाई करने से पानी की खपत जायदा होती है और पैदावार भी कम होती है.