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पानीपत में बारिश से धान की रोपाई ने पकड़ी रफ्तार, जिले में 70,000 हेक्टेयर भूमि पर धान लगाने का लक्ष्य - What is DSR Technique

हरियाणा में बारिश शुरू होने के साथ ही किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. पानीपत जिले में धान की रोपाई ने रफ्तार पकड़ ली है. जिले में 15 जून से धान की रोपाई शुरू हुई थी. अब तक 20 फीसदी खेतों में धान की रोपाई हो चुकी है. (paddy cultivation in panipat)

paddy cultivation in panipat
पानीपत में बारिश से धान की रोपाई ने पकड़ी रफ्तार

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Published : Jun 27, 2023, 8:05 AM IST

पानीपत में धान की रोपाई.

पानीपत: देश के कई राज्यों के साथ-साथ हरियाणा में भी बारिश होने से किसानों ने राहत की सांस ली है. लगातार दो दिन से हो रही बारिश से जहां एक तरफ उमस भरी गर्मी से लोगों को राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर धरतीपुत्र किसान के भी चेहरा खिल उठे हैं. खेत पानी से लबालब भरे हुए हैं जिसके चलते किसान इन दिनों काफी खुश नजर आ रहे हैं. लगातार हुई बारिश से खेतों में धान की रोपाई ने भी रफ्तार पकड़ ली है. इस वक्त खेतों में किसान सिर्फ धान की फसल की रोपाई करते नजर आ रहे हैं.

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इस साल 70,000 हेक्टेयर भूमि पर धान लगाने का लक्ष्य:पानीपत जिले में इस वर्ष 70000 हेक्टेयर भूमि पर धान लगाने का लक्ष्य रखा गया है. 15 जून से धान की रोपाई शुरू होने के बाद अब तक 20% किसानों ने खेतों में धान की रोपाई कर दी है. 15 जून से ही किसान बरसात का इंतजार कर रहे थे रविवार से शुरू हुई बरसात के बाद धान की रोपाई ने भी रफ्तार पकड़ ली है. किसानों के लिए खुशी की बात यह है कि मौसम विभाग ने 3 दिन लगातार बारिश का अलर्ट जारी किया है.

पानीपत में बारिश से धान की रोपाई ने पकड़ी रफ्तार.

मजदूरों की हो सकती है कमी: अगर 3 दिन तक इसी तरह से बारिश होती रही तो जिले में 70% तक धान की रोपाई हो जाएगी. धान की रोपाई में रफ्तार पकड़ने पर पानीपत जिले में आने वाले दिनों में रोपाई के लिए मजदूर उपलब्ध नहीं हो पाएंगे. ऐसे में मजदूरों की कमी के कारण धान की रोपाई प्रभावित हो सकती है.

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पानीपत जिले में बासमती की दो किस्मों की खेती: कृषि विभाग के उपमंडल अधिकारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि, 'कई सालों बाद इस बार बारिश धीरे-धीरे हो रही है. इससे यह फायदा होगा कि बारिश का पानी जमीन में समा जाएगा और जिससे डार्क जोन में भूमिगत जल के ऊपर आने में फायदा मिलेगा. एकदम और तेज बारिश से फ्लड की कंडीशन बन जाती है और बारिश का पानी जमीन में भी नहीं समा पाता.'

इस साल पानीपत जिले में 70,000 हेक्टेयर भूमि पर धान लगाने का लक्ष्य.

डॉ. देवेंद्र ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि, जिन किसानों को रोपाई करनी है वे पानी की उपलब्धता के साथ अपनी तैयारियां शुरू कर दें. हरियाणा के पानीपत जिले में अधिकतर बासमती की दो किस्में उगाई जाती हैं 1121 और 1509. उनकी रोपाई का बिल्कुल अनुकूल समय है और उन्हें लगाकर समय पर उनकी कटाई भी की जा सकती है.

डॉ. देवेंद्र ने बताया कि मौसम विभाग के अनुसार इसे प्री मानसून नहीं बल्कि मानसून का आगमन कहा जा सकता है. क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि दिल्ली और मुंबई में मानसून ने एकसाथ दस्तक दी है. वरना पहले मुंबई में मानसून दस्तक देता था और उसके 1 हफ्ते बाद दिल्ली में मानसून पहुंचता था. लेकिन, 1961 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है. 1961 से पहले ऐसा होता था कि एक साथ दिल्ली मुंबई में मानसून दस्तक देता था.

पानीपत जिले में बासमती की दो किस्मों की खेती.

धान की फसलों को बारिश से कोई नुकसान नहीं: देवेंद्र सिंह ने बताया कि, अभी धान की फसलों में किसी प्रकार का बारिश से कोई नुकसान नहीं है, बल्कि उनके लिए तो आसमान से सोना बरसने वाली बात है. लेकिन, सब्जी की खेती करने वाले किसानों को यह हिदायत भी दी है कि लगातार बारिश से खेतों में जलभराव की स्थिति हो जाती है और सब्जी की फसलें जिस कारण खराब हो जाती है उन्होंने कहा कि सब्जी लगाने वाले किसान अपने खेतों में ज्यादा देर पानी का ठहराव ना होने दें तुरंत उसकी निकासी का प्रबंध करें.

डीएसआर तकनीक से धान की बिजाई करने की अपील: डॉ. देवेंद्र ने किसानों से अपील की है कि वह ज्यादातर डीएसआर तकनीक से धान की बिजाई करें जिससे 40% तक पानी की बचत भी होगी और लागत भी कम आएगी. सरकार की तरफ से 4,000 प्रति एकड़ की तरफ से अनुदान राशि भी दी जाएगी. जिले में 15,000 एकड़ में इस बार डीएसआर तकनीक से बिजाई का लक्ष्य रखा गया है. अभी तक 13,000 एकड़ का इसमें रजिस्ट्रेशन भी हो चुका है और 3,000 एकड़ में डीएसआर तकनीक से लगाया जा चुका है.

क्या है डीएसआर तकनीक?: बता दें कि खेतों में सीधी बिजाई करने की पद्धति को डीएसआर यानी डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस (Direct Seeding of Rice Technique) कहते हैं. इसमें धान का बिचड़ा तैयार नहीं किया जाता, बल्कि खेतों में धान का बीज छिड़ककर ही बुआई की जाती है. इस तकनीक से पानी की बचत होती है, साथ ही खर्च भी कम लगता है. इसलिए सरकार डीएसआर तकनीक से धान बिजाई पर विशेष जोर दे रही है.

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