भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा पानीपत शहर पानीपत: आज महाशिवरात्रि का पर्व है. रात 8 बजकर 30 मिनट पर भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाएगा. उससे पहले कांवड़िएं अपने गंतव्य की तरफ पहुंच रहे हैं. जैसे-जैसे जलाभिषेक का टाइम नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे कांवड़ियों में भी उत्साह बढ़ता जा रहा है. पूरा शहर बम भोले के जयकारों से गूंज उठा है. श्रद्धालुओं की आस्था को देखकर उनकी सेवा करने वाले भी पीछे नहीं हैं.
हिसार का कांवड़िया गंगाजल के साथ पौधे भी लाया. ये भी पढ़ें- कितने प्रकार की होती है कांवड़ और क्या हैं इसके नियम, जानिये कैसे करते हैं यात्रा
पानीपत के कैटरर्स और हलवाई एसोसिएशन ने कांवड़ियों के लिए भोजन-पानी और ठहरने की व्यवस्था की है. इतना ही नहीं कांवड़ियों के लिए मेडिकल की सुविधा तक की व्यवस्था हलवाई एसोसिएशन द्वारा शिविर में की गई है. श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा है. दूर-दूर से आए कलाकारों ने अपनी झांकियों से सबका मन मोह लिया. कांवड़ यात्रा को देखने के लिए लोग सड़कों पर इकट्ठा होकर इस कावड़ मेले का आनंद ले रहे हैं.
अपने गंतव्य की तरफ जाते कांवड़ियां कांवड़ यात्रा में अबकी बार कुछ अलग रंग देखने को मिले हैं. कांवड़ यात्रा में हिसार का एक श्रद्धालु अपनी कांवड़ में जल के साथ 2 पौधे भी लेकर चल रहा था. श्रद्धालु मुकेश का कहना था कि हम जो हजारों लीटर जल लेकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे. उसके बाद वो जल व्यर्थ जाएगा. इसलिए वो अपने साथ 5 लीटर गंगाजल के साथ दो पौधे हरिद्वार से लेकर चला है. दोनों पौधों को वो हिसार में मंदिर प्रांगण में लगाया और बचा हुआ जल उस पौधे पर अर्पित करेगा.
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पंडित अनूप शास्त्री ने बताया कि रात 8:30 बजे से जलाभिषेक शुरू होकर 16 तारीख पूरा दिन जलाभिषेक होगा. फाल्गुन महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है और सावन में आई शिवरात्रि और फाल्गुन मास की शिवरात्रि का अलग महत्व है. माना जाता है कि सावन माह में भोलेनाथ धरती पर भ्रमण करने के लिए आते हैं और जो भी श्रद्धालु तीर्थ स्थानों से लाया हुआ जल शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. उनकी मनोकामना पूर्ण होती है और इस दिन व्रत रख जल अभिषेक करने से भोलेनाथ हर एक की मनोकामना पूर्ण करते हैं.