पानीपत:सोशल मीडिया जैसेइंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर रील और हरियाणा में बढ़ रहे गानों में जिक्र आने से परंपरागत पहनावे दामण का क्रेज बढ़ने लगा है. हरियाणा के पानीपत में दामन सिलने वाली 74 वर्षीय कृष्णा देवी दादी दामण आली मशहूर हाे चुकी हैं. ऐसा इसलिए क्याेंकि हरियाणा की महिलाओं का जाे दामण और कुर्ती का पहनावा है और उस पर गोटेदार चुनरी ओढ़णा हरियाणवी संस्कृति की खास पहचान मानी जाती है. यह हरियाणा का पारंपरिक पहनावा है.
विदेशों तक पहुंची हरियाणवी संस्कृति:इस परिधान की धमक आज के इस आधुनिक काल में देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए कृष्णा देवी जी-जान से जुटी हुई हैं. कृष्णा देवी दामण-कुर्ती सिलकर विदेशों तक हरियाणवीं संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं. वह डेढ़ साल में 7 से 8 लाख से ज्यादा के दामण, कुर्ती और गोटेदार चुनरी ओढ़णा बेच दिए हैं. गांव से विदेश तक लाेग उनकाे दादी दामण वाली के नाम से पहचानते हैं. वह गुरुग्राम, साेनीपत, करनाल, दिल्ली यहां तक कि विदेश में भी हरियाणा का पारंपरिक पहनावा भेज चुकी हैं. इस पहनावे को बनाने में काफी समय लग जाता है, लेकिन दामण आली दादी एक महीने में 6 से 7 दामण-कुर्ती तैयार कर देती हैं.
दादी के सफर की खूबसूरत शुरुआत:दादी कृष्णा ने बताया कि उन्होंने अपनी पुत्रवधु सुमित्रा के साथ मिलकर कपड़ाें की दुकान खाेली. लेकिन वह अच्छे से नहीं चली. इसके बाद वह हरियाणवी संस्कृति काे जिंदा रखने के लिए गुड्डा-गुड्डियां (हरियाणवीं कुर्ता-दामण वाली) बनाना शुरू किया. इसके बाद पड़ाेसन बिमला ने कहा कि जब गुड्डियाें के दामण बनाती हाे ताे दादी मेरे लिए भी बना दाे, बस पहला ही दामण सही बना और यहां से दादी के सफर की भी शुरुआत हो गई जब दादी के इस पहनावे को बनाने की शुरुआत इतनी शानदार हो गई तो सफर तो खूबसूरत और अच्छा भला कैसे नहीं होता. बस यहीं से दादी ने मुड़कर कभी नहीं देखा और आज दामण आली दादी प्रदेश के साथ साथ विदेश में भी दामण बना कर बेचती हैं.
क्या है दादी के दामण की खासियत:कृष्णा ने बताया कि वह करीब 35 मीटर कपड़े से एक दामण बनाती हैं. सबसे बड़ी खासियत ये है कि छाेटी बच्ची हाे या बड़ी महिलाओं के दामण वाे दाेनाें तरफ से उसे पहन सकती हैं. इसमें वह फूल, सितारे, पतला गाेटा, माेटा गाेटा, न्याेरी, पैमक आदि का इस्तेमाल करती हैं. पहले महिलाएं पैराें में चांदी के कड़े पहनती थीं, अब महिलाएं चांदी के कड़े नहीं पहनती हैं. इसके लिए वह खासताैर से गाेटे से ही कड़े व छैल कंगन भी बनाती हैं. इसके अलावा वह खास डिमांड पर भी कुर्ती-दामण तैयार करती हैं.