पानीपत: उर्दू के मशहूर शायर ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली (Altaf Hussain Hali) जो कि पानीपत के रहने वाले थे, आज उनकी हवेली बिना देखरेख के लुप्त हो चुकी है, लेकिन पानीपत का एक हिंदू परिवार आज भी ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली से जुड़ी हुई नायाब चीजों को संजोए हुए है. उनके पास बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो देहांत से पहले ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली उन्हें तोहफे के रूप में दे गए थे. हम बात कर रहे हैं पानीपत के पुहाल परिवार की. इस परिवार के लोग ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली के घर में साफ सफाई का काम किया करते थे.
इसी परिवार के सदस्य और इतिहासकार रमेश पुहाल बताते हैं कि उनके दादा-दादी अल्ताफ हुसैन हाली की हवेली पर साफ सफाई का काम किया करते थे. उनके बाद उनके पिता साधु राम और माता राम देवी भी उन्हें की हवेली पर ही काम करने लगे. जब ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली का देहांत हुआ तो उनके मरने के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने उन्हें बहुत सी चीजें जो अल्ताफ हुसैन हाली से जुड़ी हुई थी उन्हें भेंट कर दी. रमेश पुहाल बताते हैं कि पहले हिंदू मुस्लिम धर्म में ऐसा होता था कि मरने के बाद उस व्यक्ति की वस्तुएं घर की साफ सफाई करने वाले लोगों को दे दी जाती थी.
अल्ताफ हुसैन हाली से जुड़ी नायाब चीजों को संजोए हुए है पानीपत का ये परिवार, शायर खुद दे गए थे तोहफे में ये भी पढ़ें-PHOTOS: जिन्नों ने एक रात में बनाई ये मजार, जहां पूरी होती है हर मुराद
रमेश ने बताया कि उन्हें मरने के बाद बहुत से बर्तन दिए गए, जो चांदी, तांबे और पीतल से बने हुए थे. उनके बैठने की कुर्सी और उनकी छड़ी और उनके द्वारा लिखी गई कई किताबें भी उन्हें दी गई थी. मरने से पहले ख्वाजा अल्ताफ हुसैन ने लगभग 2 किलो सोने-चांदी की अशर्फियां भी इस परिवार को भेंट की थी. लगभग 5 पीढ़ियों से ये परिवार उनके द्वारा दी गई चीजों को संभाल कर रखे हुए है. आज भी उनके रिश्तेदार उन चीजों को लेने के लिए कई लाखों रुपए की पेशकश रमेश कुमार को कर चुके हैं, लेकिन ये परिवार उनके द्वारा दी गई चीजों को देने से साफ इनकार कर देता है. रमेश पुहाल ने ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली पर उर्दू और हिंदी में कई पुस्तकें भी लिखी हैं जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान में काफी विख्यात हैं.
कौन थे ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली?
मौलाना ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली उर्दू साहित्य में एक उच्च कोटि और उस समय के महान शायर थे. ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली मिर्जा गालिब के खास जागीर में से एक थे. उनका जन्म 11 नवंबर 1837 को पानीपत के अंसार मोहल्ले में हुआ था. ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली ने बहुत सी साहित्य और किताबें उर्दू भाषा में लिखी थी. ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली की मृत्यु 31 दिसंबर 1914 को पानीपत में हुई थी. उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें पानीपत में ही बू अली शाह कलंदर की दरगाह के अहाते में दफन किया गया था.
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