पानीपत: देशभर में दशहरे को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. दशहरे पर जो रीत चली आ रही है उसे हम भली भांती जानते हैं, लेकिन पानीपत का दशहरा हर तरह से अलग है. यहां 74 साल पुरानी परंपरा के अनुसार हनुमान स्वरूप का नजारा देखने को मिलता है.
दरअसल, पाकिस्तान में लहिया समाज ने 74 साल पहले हनुमान के मुकट-मुखौटा पहनकर नगर परिक्रमा की शुरुआत की थी. विभाजन के बाद लहिया समाज के लोग भारत आए तो सबसे पहले पानीपत में नगर परिक्रमा निकाली गई. ये परिक्रमा अष्टमी से लेकर दशहरे के समापन तक निकाली जाती है.
हनुमान का स्वरूप बनाने वाले चांद ने बताया कि उनके पूर्वजों के बाद वो इस प्रक्रिया को जारी रख रहे हैं और मूर्तिया बना रहे हैं, जिसमें पूरा परिवार उनका साथ देता है. उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियां हरियाणा, उत्तरप्रदेश से लेकर गुजरात तक भेजी जाती हैं. ये परिवार पूरा साल मूर्तियां बनाता है और अपने परिवार का गुजारा करता है. आजादी के बाद से लेकर अब तक पानीपत में ये परंपरा चली आ रही है. सैकड़ों हनुमान सभाएं पानीपत में या पानीपत के अलावा दूसरे शहरों में भी हनुमान स्वरूप पहनकर झाकियां निकालती हैं.