पानीपत:पानीपत और उत्तरप्रदेश की सीमा से लगते राणा माजरा गांव को नशा जकड़ता जा रहा है. बीते दो सालों के अंदर इस गांव के 25 युवाओं की नशे के कारण मौत हो चुकी है. गांव के बुजुर्ग भी युवाओं को नशे से दूर रखने की लाख कोशिशें कर चुके हैं, लेकिन अभी तक उसका कोई असर नहीं दिखा है.
ऐसे होती उत्तरप्रदेश से हरियाणा में नशे की एंट्री!
बताते हैं कि राणा माजरा गांव से करनाल, जींद, अंबाला और दिल्ली तक के लिए नशा तस्करी होती है. इस गांव के युवाओं को स्मैक की ऐसी लत है कि पूरे दिन यमुना नदी के किनारे जमा रहते हैं. दरअसल, इस गांव की नशा तस्करी का सबसे बड़ा कनेक्शन यमुना नदी ही है. यमुना नदी के पार उत्तरप्रदेश की सीमा शुरू होती है और वहीं से शुरू होता है नशा तस्करी का सारा खेल. यमुना पार से नशा तस्कर ट्यूब या नांव के सहारे इस गांव में दाखिल होते हैं और नशा बेचकर वापस चले जाते हैं.
नशे की गिरफ्त में पानीपत का राणा माजरा गांव, देखें स्पेशल रिपोर्ट पुलिस पर नशा तस्करों से मिलीभगत का आरोप
ग्रामीणों के मुताबिक बीते 5 सालों से राणा माजरा में स्मैक का धंधा फल फूल रहा है. गांव में अब तक 15 से 35 वर्ष के करीब 25 युवाओं की मौत नशे के कारण हो चुकी है. ग्रामीणों का ये भी कहना है वो पुलिस को कई बार नशा तस्करों के बारे में जानकारी दे चुके हैं, लेकिन पुलिस की भी नशा तस्करों के साथ मिलीभगत है.
राणा माजरा गांव की स्थिति दयनीय है. 2 साल में नशे के कारण 25 युवाओं की मौत हो जाना कोई छोटी बात नहीं, लेकिन जब इस बारे में पुलिस प्रशासन से बात की तो उन्होंने वही नपातुला जवाब दिया. सनौली थाना प्रभारी सुरेंदर सिंह का कहना है जब भी शिकायत मिलती है तो कार्रवाई होती है. किसी भी नशा तस्कर को छोड़ा नहीं जाएगा.
युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा नशा
राणा माजरा गांव की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. अगर अभी भी सरकार या प्रशासन ने इस गांव से नशे को खत्म नहीं किया तो आने वाले समय में इस गांव की स्थिति और खराब हो जाएगी. ग्रामीण यही उम्मीद कर रहे हैं कि एक दिन इस गांव से नशे का नामोनिशान मिट जाए और वो सुख और चैन की जिंदगी जी सकें.
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