पानीपत: अगर आप मछली खाने का शौक रखते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. इस खबर के जरिए हम आपको दिखाएंगे की पानीपत की मछली मंडी में प्रतिबंध के बावजूद कैसे थाई कैट फिश की खुलेआम बिक्री हो रही है. दरअसल विदेशी थाई कैट फिश जिसे थाई मांगुर भी कहा जाता है, पर्यावरण के लिए खतरा बनती जा रही है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत में प्रतिबंध लगाने के बाद भी पानीपत जिले में इसे खुलेआम बेचा जा रहा है और इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है.
आपको बता दें कि हरियाणा में मछली मंडी सिर्फ तीन जिलों में बनाई गई है. पानीपत, यमुनानगर और फरीदाबाद. पानीपत जिले की मछली मंडी में थाई कैट फिश की खुले आम बिक्री हो रही है और अधिकारी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहें हैं. दरअसल थाईलैंड में विकसित की गई ये मछली की प्रजाति मांसाहारी है. ये मछली गंदे पानी में भी तेजी से बढ़ती है और सभी जलीय जीवों को चट कर जाती है.
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वहीं 2019 में एनजीटी (NGT) ने इस पर निर्देश भी जारी किए हैं. जिसमें लिखा गया था कि विभाग के अधिकारी टीम बनाकर निरीक्षण करें. जहां भी इस मछली का पालन या बिक्री हो रही है उसे तुरंत नष्ट करें. ऐसी मछलियों के बीज को भी नष्ट किया जाए और नष्ट करने में खर्च होने वाली राशि भी उसी व्यक्ति से ली जाए जो इस मछली को पाल रहे हैं. वहीं जब इस बारे में जिले के डीएफओ(DFO) से बात की गई तो वो इस तरह अनजान बन गए जैसे उन्हें इस बात की सूचना ही नहीं है. हालांकि इनके ऑफिस से मछली मंडी सिर्फ 5 कदम की दूरी पर है. जब पत्रकारों ने इनसे सवाल जबाव किए तो वो कहने लगे आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है और अब इस पर एक्शन लिया जाएगा.
थाईलैंड में विकसित की गई ये मछली की प्रजाति मांसाहारी है. ये भी पढ़ें:हरियाणा के युवा मछली पालक इन नई तकनीकों से कमा रहे लाखों, यहां लीजिए पूरी जानकारी
थाई मांगुर मछली को वर्ष 1998 में सबसे पहले केरल में बैन किया गया था. इसके बाद सरकार ने इस पर एक्शन लेते हुए सन 2000 में पूरे देशभर में इसकी बिक्री और पालन पर रोक लगा दी थी. लेकिन अधिक मुनाफे के चक्कर में पानीपत जिले में तालाबों और नदियों में कुछ लोग थाई मांगुर मछली को पाल रहे हैं. क्योंकि ये मछली 4 से 5 महीने में ही ढाई से 3 किलो तक वजनी हो जाती है और बाजारों में इसकी कीमत कम होने के कारण गरीब तबके के लोग इसे आसानी से खरीद लेते हैं.
दरअसल थाई मांगुर पर इसलिए प्रतिबंध लगाया गया है क्योंकि ये मछली मांसाहारी है और सभी पानी के जीवो को खा जाती है. वहीं जहां गंदा पानी होने की वजह से अन्य मछलियां ऑक्सीजन की कमी के कारण मर जाती है. तो ये मछली गंदे पानी में भी जिंदा रहती है. ऐसे में इसका सेवन करना सेहत के लिए भी घातक साबित हो सकता है.
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जब इस बारे में सामान्य अस्पताल के डॉक्टर अमित कुमार से बात की गई तो उनका कहना था कि इस मछली में दो तरह के फैटी एसिड पाए जाते हैं ओमेगा-3 और omega-6. इस मछली को खाने से कई प्रकार के कैंसर जैसे बड़े शारीरिक रोग उत्पन्न हो सकते हैं. क्योंकि ये मछली मांसाहारी है और गला सड़ा मास् भी खा जाती है. इसलिए भारत में इस मछली की बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन बावजूद इसके पानीपत जिले में प्रशासनिक अधिकारियों की नाक के नीचे थाई कैट फिश को बेचने का व्यापार फल फूल रहा है.