पानीपत:हरियाणा में साइबर ठगी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. आजकल के डिजिटल युग में लोगों के लिए जितना सुख में होता जा रहा है वही इसके कई नुकसान भी सामने आ रहे हैं. डिजिटल युग में साइबर अपने आप को अपग्रेड कर रहे हैं रोजाना नए-नए तरीके से साइबर फ्रॉड के मामले सामने आ रहे हैं और रोजाना हो रही ठगी से आम लोगों की यही सोच होती है कि जिन खातों में साइबर ठग पैसे जमा करवाते हैं या पैसे का ट्रांजेक्शन करते हैं सारी डिटेल होने के बाद भी आखिरकार पुलिस इन लोगों को क्यों जल्दी नहीं पकड़ पाती. आज हम आपको बताते हैं कि साइबर ठग की सभी जानकारी होने के बाद भी पुलिस इन तक क्यों नहीं पहुंच पाती.
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गरीबों को निशाना बना रहे साइबर ठग: दरअसल साइबर ठग, ठगी के नए-नए तरीकों से लोगों से पैसे ठगते रहते हैं. कभी वीडियो डिलीट करवाने के नाम पर तो कभी नौकरी लगवाने के नाम पर तो कभी घर बैठकर पैसा कमाने के नाम पर आए दिन ठगी हो रही है. बता दें कि साइबर ठग कभी भी अपना बैंक अकाउंट ठगी के लिए उपयोग में नहीं लाते. वह ऐसे लोगों को अपना निशाना बनाते हैं जो गरीब और बेसहारा हैं. उन्हें सरकार की स्कीम बता कर उनके दस्तावेज ले लेते हैं और किसी दूसरे राज्य में जाकर बैंक अकाउंट खुलवा कर ठगी का पैसा उसमें जमा करवाते हैं.
ऐसे हुआ साइबर ठगों का खुलासा: बता दें कि पिछले दिनों पानीपत पुलिस की टीम ठगी के मामले में जांच करने के लिए गोरखपुर गई थी. अकाउंट नंबर से मिले ऐड्रेस के मुताबिक पुलिस झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले सोनू के पास पहुंची. सोनू से पूछताछ की गई तो सोनू ने बताया कि उसका तो कोई अकाउंट भी नहीं है. पूछताछ में पता चला कि कुछ लोग उनके पास आए थे और अपने आप को सरकारी कर्मचारी बताकर कहा था कि झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए स्कीम आई है. उन्हें सरकार पक्के मकान बनवा कर देगी तो उसके लिए सभी दस्तावेज चाहिए. ऐसे झांसे में आकर सोनू ने अपने सभी दस्तावेज उन्हें दे दिए. कागजात लेने के बाद साइबर शातिर उसे 500 रुपये भी देकर गए.