टेढ़ों पैरों के साथ पैदा होने वाले बच्चों का इलाज है संभव, डॉक्टर से जानिए कैसे करायें इलाज पानीपत: आजकल टेढ़े पैरों के साथ पैदा होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. केवल पानीपत जिले की बात करें तो हर साल जिले में लगभग 20 बच्चे टेढ़े पैरों के साथ पैदा हो रहे हैं. इस बीमारी को सीटीवी यानी कन्जेनाइटल क्लब फुट (Congenital Club Foot Case Treatment in Panipat) कहा जाता है. पानीपत में ऐसे 57 बच्चों का इलाज पानीपत के सिविल अस्पताल में चल रहा है. सर्वे के अनुसार एक हजार बच्चों में से एक बच्चे के अंदर यह बीमारी पाई जाती है. लगभग 3 से 4 सालों के बीच में ऐसे बच्चों की संख्या में वृद्धि हो गई है.
पानीपत सिविल अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वैभव गुलाटी ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने जब से हॉस्पिटल में ज्वाइन किया है, वो तब से इस बीमारी का इलाज कर रहे हैं. पहले इस बीमारी के बारे में लोगों को पता नहीं होता था और अब जैसे जैसे लोग जागरूक हो रहे हैं, तो इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या भी अस्पताल में बढ़ रही है.
हर महीने दो-तीन बच्चे क्लब फुट से ग्रसित सामने आ रहे हैं. डॉक्टर वैभव का कहना है कि ऐसे मरीज की सर्जरी करते हैं या प्लास्टर बांध कर ट्रीटमेंट किया जाता है. लगभग 4 से 5 बार प्लास्टर कर बच्चे के पैरों को कुछ हद तक सीधा कर लिया जाता है. उसके बाद स्पेशल बनने वाले जूतों को पहनाया जाता है. जिसे धीरे-धीरे बच्चे के पैर सीधे होने लगते हैं. माता-पिता को भी ऐसे बच्चे को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल लाना चाहिए ताकि समय रहते उसे ठीक किया जा सके.
डॉ वैभव गुलाटी बताते हैं कि बदलते समय और खानपान से ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है. ज्यादा धूम्रपान और शराब पीने वालों के बच्चे भी इस प्रकार की बीमारी से ज्यादा ग्रसित पाए जाते हैं. अगर परिवार में किसी की हिस्ट्री ऐसी है तो बच्चा इस बीमारी से ग्रसित हो सकता है. इस बीमारी के लिए पानीपत के सिविल अस्पताल में सप्ताह के हर शुक्रवार को 12 बजे के बाद फुट क्लीनिक चलाया जाता है.
डॉक्टर का कहना है कि इस बीमारी का इलाज करते समय माता-पिता को भी कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती है. इलाज के लिए बच्चे की पैरों की उंगलियों से लेकर टांग तक प्लास्टर करना पड़ता है. ऐसे बच्चे की देख रेख माता पिता को करनी चाहिए. अगर प्लास्टर के आसपास जगह पर दाने हो या पैर का पंजा ठंडा पड़ जाए या फिर नीला हो जाए या फिर उसमें से बदबू आने लगे तो तुरंत उसे डॉक्टर के पास चेकअप के लिए बच्चे को लेकर आएं.