पंचकूला: हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा संचालित एडॉप्शन एजेंसी 1981 से बेसहारा और अनाथ बच्चों का उनका पालन पोषण कर रही है. 1981 से अब तक कुल 579 बच्चे राज्य बाल कल्याण द्वारा गोद दिए जा चुके हैं. हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के मानद महासचिव कृष्ण ढुल के कार्यकाल में ढाई साल से करीब 70 बच्चे गोद दिए जा चुके हैं. हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के मानद महासचिव कृष्ण ढुल ने बताया कि सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी यानी (कारा, CARA) द्वारा पारदर्शी तरीके से बच्चों को गोद देने का काम किया जाता है. जोकि भारत सरकार के अधीन है.
कृष्ण ढुल के मुताबिक गोद लेने से पहले अभिभावकों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होता है. उसके बाद कारा द्वारा निर्धारित नियमों को पूरा करने के बाद ही बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है. कृष्ण ढुल के मुताबिक हरियाणा में 8 शिशु गृह हैं. कृष्ण ढुल के मुताबिक बच्चे को गोद देने के बाद 2 से 3 साल तक उस बच्चे की फॉलोइंग हिस्ट्री पर नजर रखी जाती है. उन्होंने बताया कि खास तौर पर जो बच्चे विदेश में अडॉप्ट करके ले जाए जाते हैं. उन बच्चों पर स्काइप और सोशल मीडिया के माध्यम से शारीरिक और मानसिक ग्रोथ पर नजर रखी जाती है.
कृष्ण ढुल ने बताया कि बच्चों को अडॉप्ट करने का प्रचलन पहले के मुकाबले अब ज्यादा बढ़ रहा है. कृष्ण ढुल ने बताया कि शिशु गृह में मौजूद हर तीन बच्चों पर एक हाउस मदर 24 घन्टे नजर रखती है. उन्होंने बताया कि बाल गृह में बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से अलग-अलग सेक्शन में रखा जाता है. ताकि बच्चों के अंदर एज ग्रुप के हिसाब से सामान्य लगे. उन्होंने बताया कि प्रत्येक शिशु गृह में नर्स, डॉक्टर, सुपरिटेंडेंट के साथ-साथ पूरा एक स्टाफ रहता है, जोकि बच्चों की देखरेख करता है.
हरियाणा में 8 शिशु गृह
हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के मानद महासचिव कृष्ण ढुल ने बताया कि हरियाणा का सबसे बड़ा शिशु गृह जिला यमुनानगर के छछरौली में है, जोकि करीब 8 एकड़ जमीन पर बना हुआ है. जिसमें 200 से ज्यादा बच्चे रहते हैं. उन्होंने बताया कि यमुनानगर के अलावा रेवाड़ी, बहादुरगढ़, रोहतक, झज्जर, गुरुग्राम, फरीदाबाद में शिशु गृह बनाए गए हैं. जहां पर अनाथ, बेसहारा बच्चे रहते हैं. उन्होंने बताया कि विभाग की कोशिश रहती है कि शिशु गृह में रह रहे बच्चों को घर जैसा वातावरण दिया जाए.
कृष्ण ढुल ने बताया कि 1981 से अब तक कुल 579 बच्चों को गोद दिया जा चुका है. जिसमें से भारत के अलग-अलग राज्यों में 155 लड़के, 232 लड़कियां शामिल हैं. उन्होंने बताया कि विदेश में 25 लड़के और 133 लड़कियां अब तक गोद दिए जा चुके हैं. विदेश में लड़कों के मुकाबले लड़कियों के प्रति अभिभावकों में क्रेज ज्यादा है. कृष्ण ढुल ने बताया कि मौजूदा समय में पंचकूला सेक्टर-15 शिशु गृह में 19 बच्चे रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि शिशु गृह में रहने वाले बच्चे जैसे ही 4 साल के हो जाते हैं तो उन्हें तुरंत स्कूल में दाखिला दिलवाया जाता है. होमवर्क करवाने के लिए बच्चों को शिशु गृह में टीचर्स मुहैया करवाए गए हैं.
शिशु गृह में रहने वाले बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बच्चों के लिए खेलों की भी व्यवस्था की गई है. सुपरिटेंडेंट इन बच्चों को योगा, पीटी और अन्य खेलकूद करवाते हैं. हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के मानद महा सचिव कृष्ण ढुल ने बताया कि सरकार की ओर से हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के लिए अलग से बजट रहता है, उसके अलावा समाज सेवी लोग भी संस्था के साथ जुड़े रहते हैं और समय-समय पर इन अनाथ और बेसहारा बच्चों के लिए कुछ ना कुछ डोनेट करते हैं.
बच्चा गोद लेने की यह है प्रक्रिया
1. सबसे पहले हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की वेबसाइट पर एप्लीकेशन डालें.
2. एप्लीकेशन कंफर्म होने के बाद जिस अनाथ आश्रम से बच्चा गोद लेना है, वहां 1 हजार रुपये रजिस्ट्रेशन फीस और 6500 रुपये होम इंवेस्टीगेशन फीस जमा करें.