पंचकूला: जिंदगी में हर कोई कभी ना कभी डिप्रेशन का शिकार हो ही जाता है. घरेलू परेशानियां हों या निजी समस्याएं डिप्रेशन की बहुत सी वजह हो सकती हैं. इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हर कोई अपने काम में व्यस्त है. हमारी दिनचर्या इतनी व्यस्त हो जाती है कि हमें अपने लिए समय नहीं मिल पाता है. दिनभर हमारे दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है. जिसे ना आप किसी को बता पाते हैं और न खुद सहन कर पाते हैं. इनसब की वजह से बढ़ता है डिप्रेशन. जिसकी वजह से लोग आत्महत्या कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि डिप्रेशन की वजह से 20% लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं और 20% से ज्यादा ऐसे लोग होते हैं जिनके दिमाग में आत्महत्या करने का ख्याल होता है.
साइकेट्रिस्ट एमपी शर्मा ने बताया कि सुसाइड करने वाले व्यक्ति के मन में ये होता है कि वो जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगा. या उसकी कोई मदद नहीं कर सकता. फिर वो अपने आप को जिंदगी में फेलियर मान लेता है, जिससे वो व्यक्ति दबा हुआ महसूस करता है और उस शख्स को आत्महत्या करने का तरीका ज्यादा आसान लगता है.
डॉक्टर एमपी शर्मा ने बताया कि भारत में 15 से लेकर 34 साल तक की उम्र के लोग ज्यादा सुसाइड करते हैं. क्योंकि 15 से 34 साल तक का उम्र का वो समय होता है जिसमें युवा अपने करियर को निखारने की कोशिश कर रहे होते हैं. एमपी शर्मा ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति सुसाइड करने बारे सोचता है और वो सुसाइड करने से बचना चाहता है तो उसके लिए सबसे बड़ी बात ये है कि उस व्यक्ति को दूसरों से बात करनी चाहिए, परिवार के बारे में सोचना चाहिए, करियर के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि बात करके इंसान अपने दिमाग से बोझ कम कर सकता है.