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पंचकूला में 80 प्रतिशत है होम क्वारंटाइन कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट, बिना लक्षण वाले मरीजों ने बढ़ाई चिंता - होम क्वारंटाइन कोरोना मरीज पंचकूला

पंचकूला नागरिक अस्पताल के डिप्टी सिविल सर्जन राजीव नरवाल ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि बिना लक्षण वाले मरीजों की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा भारत में है. अच्छी बात ये है कि सिंप्टोमेटिक मरीज जल्द ठीक भी हो रहे हैं. इनकी डेथ मोटिलिटी भी काफी कम है.

recovery rate of home quarantine corona patient
recovery rate of home quarantine corona patient

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Published : Jul 17, 2020, 2:38 PM IST

पंचकूला: जिले में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोरोना के बिना लक्षण वाले यानी एसिंप्टोमेटिक मरीज बने हुए हैं. ऐसे लोग कोरोना से संक्रमित होते हैं, लेकिन उनमें कोरोना के लक्षण नहीं दिखाई देते. जिसकी वजह से कोरोना संक्रमण का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है. पंचकूला नागरिक अस्पताल के डिप्टी सिविल सर्जन राजीव नरवाल ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि बिना लक्षण वाले मरीजों की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा भारत में है. अच्छी बात ये है कि सिंप्टोमेटिक मरीज जल्द ठीक भी हो रहे हैं. इनकी डेथ मोटिलिटी भी काफी कम है.

बिना लक्षण वाले यानी एसिंप्टोमेटिक मरीजों के लिए होम क्वारंटाइन इफेक्टिवली इम्पलीमेंट हो रहा है. इसका सरारात्मक परिणाम ये है कि पंचकूला में कोरोना मरीजों की संख्या बाकि जिलों से काफी कम है.

पंचकूला में 80 प्रतिशत है होम क्वारंटाइन कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट

क्या होता है होम क्वारंटाइन

होम क्वारंटाइन में कोरोना संदिग्धों को सैंपल की रिपोर्ट आने तक घर पर ही एक तरह से नजरबंद रखा जाता है. इस दौरान संदिग्ध परिजनों से भी दूरी बनाकर रखता है.

  • होम क्वारंटाइन 14 दिनों के लिए होता है
  • सिंप्टोमेटिक मरीज को 14 दिनों के लिए होम क्वारंटाइन किया जाता है
  • ज्यादातर सस्पेक्टेड मरीजों को ही होम क्वारंटाइन किया जाता है
  • पंचकूला में करीब 800 लोगों को होम क्वारंटाइन किया जा चुका है
  • जिले में होम क्वारंटाइन मरीजों का रिकवरी रेट 80 से 90 परसेंट है

कैसे किया जाता है होम क्वारंटाइन?

  • होम क्वारंटाइन के लिए एक हवादार कमरा चुना जाता है जिसमें टॉयलेट भी हो.
  • अगर संदिग्ध कमरे में अकेले ना रह पाए और संदिग्ध को साथ रहने वाले शख्स को कम से कम एक मीटर की दूरी रखनी होती है.
  • संदिग्ध को घर के बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों से दूरी बनाकर रखनी होती है.
  • कोरोना संदिग्धों को सार्वजनिक समारोह, शादी, पार्टी में 14 दिन बाद या स्वस्थ होने तक शामिल नहीं होने की अपील की जाती है.

होम क्वारंटाइन किए गए संदिग्धों या मरीजों का इम्यूनिटी सिस्टम को स्ट्रांग करना स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती होती है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग संदिग्ध के लिए डाइट चार्ट तैयार किया जाता है. इम्यून सिस्टम के मजबूत बनाने के लिए न्यूट्रिशियस फूड खाना होता है, गर्म पानी पीना होता है, स्ट्रेस से दूर और रिलेक्स रहना होता है.

जिन संदिग्धों या कोरोना मरीजों को होम क्वारंटाइन किया जाता है. उनकी लिस्ट उपायुक्त कार्यालय के पास होती है. उपायुक्त कार्यालय से परमिशन मिलने के बाद होम क्वारंटाइन होने वाला मरीज अंडरटेकिंग देता है. जिसमें मरीज ये कहता है कि वो अपनी सेल्फ टेस्टिंग करवाएगा और फिर टेस्ट करवाने के बाद वो हेल्थ डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी देता है.

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इसके बाद हेल्थ टीम होम क्वारंटाइन मरीजों के घर के बाहर ग्रीन स्टीकर चिपकाती है और मरीज का स्वास्थ्य आरोग्य सेतु एप पर अपडेट करती है. जैसे ही मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो पेशेंट के घर के बाहर रेड स्टीकर लगाया जाता है. क्वारंटाइन पीरियड के बाद अगर मरीज को बाहर किसी काम से जाना होता है तो उसे डीसी ऑफिस से सर्टिफिकेट लेना होता है.

अगर होम क्वारंटाइन मरीज घर से बाहर घूमता है तो इसमें रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के लोग स्वास्थ्य विभाग की मदद करते हैं. जब स्वास्थ्य विभाग को इस प्रकार की जानकारी मिलती है तो स्वास्थ्य विभाग इसकी जानकारी इंसीडेंट कमांडर को देता है. जिसके बाद इंसिडेंट कमांडर आगामी कार्रवाई अपने मुताबिक करता है. हेल्थ टीम होम क्वारंटाइन मरीज को घर हर तीसरे दिन विजिट करती है.

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