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पंचकूला: सेक्टर-21 के समुदायिक केंद्र का नाम शहीद चंद्रशेखर आजाद के नाम पर रखा गया

पंचकूला में रविवार को चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad Death Anniversary) की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे.

panchkula Sector 21 community center
panchkula Sector 21 community center

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Published : Feb 27, 2022, 8:45 PM IST

पंचकूला:हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने रविवार को शहीद चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस के उपलक्ष में पंचकूला के सेक्टर-21 समुदायिक केंद्र में शहीद चंद्रशेखर आजाद को श्रद्धांजलि दी और सेक्टर-21 के समुदायिक केंद्र का नाम शहीद चंद्रशेखर आजाद के नाम से रखा. इस कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे. इस अवसर पर ज्ञानचंद गुप्ता ने शहीद चंद्रशेखर आजाद के बलिदान को याद करते हुए कहा कि पंचकूला के सभी समुदायिक केंद्रों का नाम हमारे देश के क्रांतिकारी शहीदों के नाम पर रखने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया है और आज सेक्टर-21 कम्युनिटी सेंटर में शहीद चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर उन्हें याद किया गया है.

उन्होंने कहा कि 90 वर्ष पहले देश के महान सपूत चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए अपनी शहादत दी थी. जिस प्रकार से चंद्रशेखर आजाद जी एक गरीब परिवार में जन्म लेकर क्रांतिकारी बने और स्वाभिमान के लिए उन्होंने अंग्रेजों की गोली से नहीं अपनी गोली से मरना उचित समझा. उन्होंने कहा कि आज ऐसे महान शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम किया गया. उन्होंने कहा कि हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने 90 विधानसभा में हरियाणा के सभी कोनों में यह कार्यक्रम आयोजित करवाए हैं.

गौरतलब है कि आजादी के मतवाले चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad Death Anniversary) की आज पुण्यतिथि है. अंग्रेजी हुकूमत चंद्रशेखर आजाद के नाम से भय खाती थी. बेखौफ अंदाज के चंद्रशेखर आजाद सिर्फ 14 साल की उम्र में ही आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे. चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के झाबुआ में 23 जुलाई 1906 को हुआ था. चंद्रशेखर सिर्फ 14 साल की उम्र में 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए थे. अचानक गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन को बंद कर देने से इनकी विचारधारा में बदलाव आया. वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए.

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अंग्रेज सरकार की नाक में दमकर चुके आजाद को 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजी पुलिस ने इलाहाबाद (प्रयागराज) के अल्फ्रेड पार्क में चारों तरफ से घेर लिया. आजाद ने 20 मिनट तक अंग्रेजी पुलिस का डटकर सामना किया. इस दौरान उन्होंने अपने साथियों को वहां से सुरक्षित बाहर भी निकाल दिया. जब उनके पास बस एक गोली बची तो उन्होंने उसे खुद को मार ली. उन्होंने संकल्प लिया था कि उन्हें कभी भी अंग्रेजी पुलिस जिंदा नहीं पकड़ सकती. इस तरह आजाद ने अपना संकल्प पूरा किया.

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