पंचकूला:साइबर अटैक से पूरी दुनिया परेशान है. भारत भी इस टेक्निकल हमले से अछूता नहीं रहा. पिछले एक दशक में साइबर अटैकर्स ने कई महत्पूर्ण डाटाबेस को चुराया है और बदले में फिरौती भी मांगी. इन बढ़ते विश्वव्यापी साइबर हैकिंग्स के बाद पुलिस ने भी इन अपराधियों को पकड़ने के लिए विशेष तैयारियां की है.
पिछले कुछ सालों ने हैकर्स से निपटने के लिए खुद को तैयार किया है. कुछ मामलों में पुलिस को कामयाबी भी मिली है. इंटरनेट के ये अपराधी कैसे साइबर हैकिंग जैसी वारदातों को अंजाम देते हैं और पुलिस इन अपराधियों कैसे नकेल कसती है, इस प्रक्रिया को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने पंचकूला के डीसीपी मोहित हांडा से बातचीत की.
डीसीपी पंचकूला मोहित हांडा के मुताबिक ग्लोबल साइबर क्राइम से जुड़े अपराधों में लगातार परिवर्तन आ रहा है. उन्होंने बताया कि साइबर क्रिमिनल पहले केवल किसी कंपनी के सिस्टम या अकाउंट हैक कर उसमें से पैसे निकालते थे, लेकिन अब इसमें तरह-तरह के बदलाव आ रहे हैं, जैसे किसी का आईडेंटिटी चुरा लेने का मामला, जिसमें हैकर किसी व्यक्ति की फेक प्रोफाइल बनाकर के उसके बारे में आपत्तिजनक मैसेज डाल देता है या फिर उनके दोस्तों को आपत्तिजनक मैसेजेस कर देता है. मौजूदा समय में ई-वायलेट फ्रॉड भी सामने आ रहे हैं, जैसे कि पेटीएम, फोन-पे जैसे एप्लिकेशन के वॉलेट से पैसे चुरा लेना.
'पुलिस ट्रेनिंग भी होती है, प्राइवेट एक्सपर्ट्स की मदद भी लेते हैं'
साइबर पुलिस की टीम इसमें लगातार प्रशिक्षित की जा रही है. पुलिस कर्मचारियों को इसमें परीक्षण दिया जा रहा है. अगर फ्रॉड का कोई जटिल मामला होता है तो उसमें बाहर के आईटी एक्सपर्ट्स की मदद ली जाती है. इनसे भी प्रशिक्षण करवाया जाता है ताकि अप टू डेट रहा जा सके. डीसीपी ने बताया कि मौजूदा समय में जितने भी नए साइबर क्राइम हो रहे हैं वे ग्लोबल नेचर के है.
उन्होंने बताया कि ग्लोबल नेचर के अपराधी दूसरी स्टेट या फिर दूसरी कंट्री से भी होते हैं, जिसके लिए पुलिस का तालमेल सर्विस प्रोवाइडर्स, फेसबुक, ट्विटर आदि के साथ रहता है ताकि कानूनी रिक्वायरमेंट पूरी करके सर्विस प्रोवाइडर से ऑफिशियल इंफॉर्मेशन ली जा सके और फिर जब मामला कोर्ट में जाये तो किसी भी सबूत या सीआरपीसी के प्रोविजन की अवेहलना ना हो.
पुलिस अकादमी में दी जाती है ट्रेनिंग
साइबर हैकर्स से बचने के लिए हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन में भी कई प्रकार के कोर्स करवाए जाते हैं. जिसमें बैंकिंग सेक्टर, आईटी एक्सपोर्ट्स को एक जगह इकट्ठा करके सभी साइबर सेल टेक्निकल टीम को प्रशिक्षण दिया जाता है. कुछ महत्वपूर्ण मामलों में एजेंसीयों, इंस्टिट्यूट्स के एक्सपर्ट्स की मदद भी ली जाती है. डीसीपी ने बताया कि किसी तरह के एनालिसिस में अगर प्राइवेट सेक्टर्स के एक्सपर्ट्स की जरूरत होती है तो उनकी मदद भी ली जाती है.