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पंचकूला: मानेसर लैंड डील और AJL मामले में सुनवाई हुई, पूर्व सीएम हुड्डा हुए पेश

मानेसर लैंड डील और AJL मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई हो चुकी है.आज दोनों मामलों में चार्ज पर बहस हुई. एमएल तायल मानेसर मामले में आरोपी है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा

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Published : Jul 16, 2019, 8:45 AM IST

Updated : Jul 16, 2019, 3:25 PM IST

पंचकूला: मानेसर लैंड डील और AJL मामले पर आज पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट में सुनवाई हो गई है. इस मामले में एमएल तायल पर लगाये गए चार्ज पर बहस हुई, जो अगली सुनवाई में भी जारी रहेगी.एमएल तायल मानेसर मामले में आरोपी है.

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आज मानेसर लैंड डील और AJL दोनों मामलों में चार्ज पर बहस हुई. एजेएल मामले में बचाव पक्ष ने सीबीआई से कुछ दस्तावेज मांगे थे, जिसके के लिए सीबीआई कोर्ट ने सीबीआई को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया हैं.

कब होगी अगली सुनवाई ?

कोर्ट ने मानेसर लैंड स्केम की अगली सुनवाई 26 जुलाई तो वही AJL मामले पर 6 अगस्त को सुनवाई होगी. मानेसर लैंड स्केम में पाए गए आरोपी एमएल तायल पर लगाये गए चार्ज पर बहस होगी.

क्या था मानेसर लैंड डील का मामला?

27 अगस्त 2004 को एचएसआईआईडीसी ने इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाने के लिए मानेसर, लखनौला, नौरंगपुर में 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया. राज्य सरकार ने 224 एकड़ जमीन को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया, 688 एकड़ जमीन अधिग्रहण के दायरे में रही. इसके बाद कई बिल्डरों ने किसानों से जमीन खरीदना शुरू कर दिया। 24 अगस्त 2007 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अधिग्रहण प्रक्रिया रद कर दी. फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट में आया था.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि बिल्डरों ने किसानों को जमीन के बदले जो भी रकम दी है वह वापस नहीं होगी. जमीन मालिक को जो पैसा बिल्डर ने दिया है वह मुआवजा माना जाएगा. अगर मुआवजा बकाया है तो राज्य सरकार देगी. जहां मुआवजे से ज्यादा रकम मिली है, वह रकम वापस नहीं होगी. जिसने बिल्डरों को जमीन और फ्लैट अलॉटमेंट के बदले रकम दी है, वह रकम वापस पाने का हकदार होगा. तीसरे पक्ष को रिफंड या अलॉट किए गए प्लॉट या फ्लैट में हिस्सा मिलेगा

कैसे हुआ था एजेएल घोटाला

इस विवाद की शुरूआत वर्ष 1982 में हुई थी. तत्कालीन सरकार ने पंचकूला के सैक्टर-छह में एजेएल को 3360 स्केयर मीटर का प्लाट अलाट किया गया था. तय समय सीमा के दौरान संबंधित संस्थान ने इस प्लाट पर किसी तरह का निर्माण नहीं किया. 1996 में पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद बंसीलाल के नेतृत्व वाली तत्कालीन हरियाणा विकास पार्टी सरकार ने इसका कब्जा वापस ले लिया.

इसके बाद वर्ष 2005 में हरियाणा में फिर से कांग्रेस की सरकार सत्ता में आ गई. जून 2005 में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने एजेएल के आधार पर हुड्डा को एक यह प्लाट फिर से अलाट किए जाने की मांग की. जिसे यह कहा गया कि यहां से एक समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया जाएगा. यही से एक नया घोटाला शुरू हो गया.

Last Updated : Jul 16, 2019, 3:25 PM IST

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