पंचकूला: बचपन भगवान का दिया वो उपहार है, जो मासूमियत और प्रेम से बंधा होता है. गीली मिट्टी सा बचपन जिस सांचे में ढालो ढल जाता है, लेकिन इस मासूमियत पर कभी-कभी मानवी विकारों का साया मंडराने लगता है, जिसे हम यौन शोषण कहते हैं. यौन शोषण के तो ऐसे भी कई मामले होते हैं, जिनके बारे में किसी को कुछ पता भी नहीं होता. इसलिए ईटीवी भारत हरियाणा ने ये पता लगाने की कोशिश की कि यौन शोषण पीड़ितों को न्याय दिलवाने के लिए संबंधित अधिकारियों ने क्या कदम उठाए हैं.
'यौन शोषण गंभीर विषय'
इस तरह की घटनाओं से बच्चों का ना केवल शारीरिक शोषण होता है, बल्कि मानसिक तौर पर भी वो बड़ी और मुश्किल लड़ाई लड़ रहे होते हैं. ईटीवी भारत हरियाणा के साथ पंचकूला के डीसीपी मोहित हांडा ने बताया कि यौन शोषण के मामलों को हमेशा से ही गंभीरता से लिया जाता है. डीसीपी ने बताया कि इस तरह के मामलों में पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाता है.
लॉकडाउन के दौरान यौन शोषण के मामलों में आई गिरावट, क्लिक कर देखें रिपोर्ट इस मामले में एडवोकेट अभिषेक राणा ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि यौन शोषण के मामलों में सजा का क्या प्रावधान है और किस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाता है. अभिषेक राणा ने बताया कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए इसमें अलग-अलग सजा का प्रावधान है. इसमें सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है. जो कोर्ट अपराध की गंभीरता को देखते हुए तय करता है.
यौन शोषण के मामलों में आई कमी
पिछले सालों की तुलना की जाए तो इस साल पंचकूला में यौन शोषण के मामलों में कमी आई है.
- साल 2018 में यौन शोषण के 37 मामले
- साल 2019 में 48 यौन शोषण के मामले
- साल 2020 में अब तक यौन शोषण के 25 मामले सामने आए हैं.
यौन शोषण के मामलों में आई गिरावट की वजह तो अभी साफ नहीं हो पाई है. वहीं डीसीपी मोहित हांडा ने बताया कि लोगों को जागरूक करने के लिए वो कई कार्यक्रमों के कार्यक्रम चलाते रहते हैं. जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है.
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यौन शोषण का मामले पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए जाते हैं. पोक्सो एक्ट में सजा क्राइम के आधार पर तय होती है. गंभीर वारदातों के लिए सजा का प्रावधान ज्यादा होता है. यदि कोई अपराधी फिर से वारदात को अंजाम देता है तो उसके लिए और भी गंभीर सजा दी जाती है.
पोक्सो क़ानून क्या है?
POCSO एक्ट का पूरा नाम "The Protection Of Children From Sexual Offences Act" या प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट है. पोक्सो एक्ट-2012; को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था. साल 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.