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क्या होता है बायोमेडिकल कचरा? जो आपके लिए नई मुसीबत ला सकता है

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Published : May 23, 2020, 7:46 PM IST

ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने पंचकूला सेक्टर-6 नागरिक अस्पताल में बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन की व्यवस्था का जायजा लिया और ये जानने की कोशिश की कि सुरक्षा उपकरणों के निपटान को लेकर अधिकारी सतर्क हैं या नहीं. पढ़ें पूरी खबर.

Panchkula Sector-6 Civil Hospital
Panchkula Sector-6 Civil Hospital

पंचकूला: कोविड-19 के चलते लगे लॉकडाउन की वजह देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है. इस समय बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन भी चिंता का विषय बन गया है. क्या सरकारी अस्पतालों में बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन की सही व्यवस्था की गई है? या फिर इसमें लापरवाही बरती जा रही है? इसकी का जायजा लिया ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने. जिसमें पाया गया कि पंचकूला का सामान्य अस्पताल सभी नियमों को ध्यान में रखकर कचरे के वेस्ट को नियमों के अनुसार नष्ट किया जा रहा है.

ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने पंचकूला सेक्टर-6 नागरिक अस्पताल में बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन की व्यवस्था का जायजा लिया और ये जानने की कोशिश की कि सुरक्षा उपकरणों के निपटान को लेकर अधिकारी सतर्क हैं या नहीं. अपनी रिपोर्ट में ईटीवी भारत की टीम ने पाया कि पंचकूला सेक्टर-6 नागरिक अस्पताल में कोरोना संक्रमितों और चिकित्सकों की पीपीटी किट को ध्यान पूर्वक नष्ट किया जा रहा है.

बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन पर क्लिक कर देखें रिपोर्ट

सरकार ने जो नियम और गाडडलाइन जारी की थी. पंचकूला का नागरिक अस्पताल उनपर खरा उतरता नजर आया. बायोमेडिकल वेस्ट को नष्ट करने के लिए सरकार की ओर से कंपनी को निर्धारित किया है. बायोमेडिकल कचरे को नष्ट करने का जिम्मा इस कंपनी पर ही है.

गाइडलाइन्स का किया जा रहा पालन

सामान्य अस्पताल की सीएमओ डॉक्टर जसजीत कौर ने बताया कि कोविड-19 के लिए विशेष गाइडलाइन सरकार की ओर से जारी की गई है. जिसके तहत पर्यावरण विभाग और कोर्ट के निर्देश पर आधारित नियमों के तहत काम किया जाता है. अस्पताल में इस्तेमाल की गई पीपीटी किट को नष्ट किया जाता है. सरकार ने इसके लिए नोडल एजेंसी के साथ मिलकर समझौता करते हुए रूपरेखा तैयार की है. जिसके तहत कोविड-19 के वेस्ट को नष्ट किया जा रहा है.

एजेंसी के तहत सरकारी अस्पताल, गैर सरकारी अस्पताल, शेल्टर होम्स और क्वारंटाइन होम्स के साथ महीने भर समझौता किया है. इस समझौते के तहत कोरोना संबंधित वेस्ट को अलग ले जाकर नष्ट किया जाता है. ताकि आम आदमी इसकी चपेट में ना आ सकें.

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सीएमओ डॉक्टर जसजीत कौर ने कहा कि एक दिन में अस्पताल का सभी स्टाफ करीब 150 से 200 पीपीई किट का इस्तेमाल करते हैं. एक शिफ्ट में एक पीपीई किट का इस्तेमाल किया जाता है. ये किट पॉलिथीन और कपड़े से मिलकर बनी होती है. इसको पहने के लिए चार से पांच मिनट तक का वक्त लगता है.

इस्तेमाल करने के बाद पीपीई किट को नियम उनुसार ही उतारा जाता है. इसके बाद इसे पॉलिथीन में भरकर रख दिया जाता है. जिस कंपनी को इसके वेस्ट को नष्ट करने का ठेका दिया गया है वो इसे शहर से दूर ले जाकर सावधानिपूर्वक नष्ट करती है.

क्या है पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट किट?

पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट, प्रोटेक्टिव गियर्स हैं, जिन्हें कोरोनावायरस पीड़ितों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और नर्स आदि को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किया गया है. इन गियर्स को पहनने से डॉक्टर्स कीटाणु के संपर्क में आने से खुद को अधिक से अधिक बचा पाते हैं. पीपीई किट में चश्मे, फेस शील्ड, मास्क, ग्लव्स, गाउन, हेड कवर और शू कवर शामिल हैं.

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