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पलवल में लगातार 15वें दिन धरने पर पीटीआई टीचर्स

पलवल में पीटीआई टीचर्स ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ये टीचर्स लगातार 15 दिनों से सरकार के खिलाफ अनशन पर हैं. उनका कहना है कि जबतक उनकी बहाली नहीं की जाती वो ऐसे ही आंदोलन करते रहेंगे.

pti teachers protest in palwal
पीटीआई टीचर धरना

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Published : Jun 29, 2020, 8:37 PM IST

पलवल:हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ और शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजन में पीटीआई टीचर्स की बहाली की मांग को लेकर 15वें दिन भी प्रदर्शन जारी रहा. इस दौरान नाराज टीचर्स ने प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय के सामने डबवाली विधायक नैना चौटाला और सरकार का पुतला फूंका. साथ ही सरकार के खिलाफ जमकर नरारेबाजी की.

इस दौरान मीडिया से बात करते हुए हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला प्रधान वेदपाल ने कहा कि सरकार को पीटीआई अध्यापकों की नौकरी बहाली का निर्णय लेना होगा, क्योंकि महामारी के समय में अध्यापक पूरी इमानदारी से हर मोर्चे पर जनता की सेवा की है. ऐसी स्थिति में सरकार की ओर से लिए गए इस तरह के निर्णय अध्यापकों के मनोबल को तोड़ते हैं.

पलवल में लगातार 15वें दिन धरने पर पीटीआई टीचर्स

उन्होंने कहा कि महामारी के समय में 10 सालों से नियमित तौर पर लगे पीटीआई अध्यापकों को राजनीति का शिकार बनाया गया. जबकि भर्ती प्रक्रिया से व्यक्तिगत तौर पर किसी का भी कोई लेना-देना नहीं था. कोर्ट में सरकार ने पीटीआई अध्यापकों की कोई पैरवी नहीं की. उन्होंने कहा कि सरकार की वजह से व्यक्तिगत दोष न होते हुए भी 1983 परिवारों पर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इन परिवारों का भविष्य अंधकार में धकेला जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी बहाली नहीं करेगी तो उनका आंदोलन जारी रहेगा.

क्या है पूरा मामला

हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.

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याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा.

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