पलवल: आधुनिकता के इस दौर में आज जहां हर कोई अपने पैरों पर खड़े होने के बाद अपने परिवार से अलग होकर सुकुन भरी जिंदगी जीना चाहता है. वहीं हरियाणा के पलवल में गांव असावटा का संयुक्त परिवार मिसाल (Palwal joint family) कायम किये हुए है. इस परिवार की चार पीढ़ियां एक छत के नीचे रहकर मिसाल पेश कर रही हैं. सेना को समर्पित यह परिवार आज अपनी अलग पहचान बना चुका है. 17 छोटे बड़े बच्चों सहित 38 सदस्यों वाले इस परिवार में कुल 9 लोग सेना में नौकरी कर देश सेवा कर चुके हैं. इनमें से 6 अभी भी आर्मी में हैं. वहीं सबसे बुजुर्ग 85 वर्षीय बतासो देवी परिवार की मुखिया हैं. 38 सदस्य वाले इस परिवार का खाना आज भी एक चूल्हे पर बनता है और पूरा परिवार एक साथ रहता है.
लगभग 70 साल पहले इस परिवार की नीव गांव असावटा निवासी रामपाल हवलदार ने भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद रखी. रामपाल की मौत के बाद दादी बतासो ने बतौर मुखिया और उनके तीन बेटे श्यामवीर, रामवीर, व ओमवीर ने संयुक्त परिवार की जिम्मेदारी अपने सिरमौर ले ली. इनमें से दो बेटे श्यामवीर व रामवीर भारतीय सेना में अपनी सेवा देकर देश सेवा से जुड़े हुए हैं. तीनों के सात बेटे व सात बहुएं हैं. बेटी की शादी हो चुकी है और सात में से 6 बेटे भारतीय सेना में देश सेवा कर रहे हैं. धर्मवीर, मनवीर, दलवीर, नरवीर, उदयवीर व चमनवीर सैनिक के तौर पर भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं. इसलिए इस परिवार को पलवल का आर्मी परिवार (Palwal army family) भी कहा जाता है. इस परिवार में सबसे छोटे सदस्य की उम्र करीब 2 साल है जबकि सबसे बड़ी सदस्य दादी की उम्र करीब 85 वर्ष हो गई है.
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संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति का प्रतीक है. एकजुट रहने से आपस में प्यार तो बढ़ता ही है. साथ ही एक दूसरे का सहयोग भी मिलता है. वहीं परिवार के घरेलू कामकाज की बात की जाए, तो सभी महिलाएं मिलजुलकर काम करती हैं. सुबह 4 बजे से ही घर के कामकाज शुरू हो जाते हैं. पशुओं के कामकाज से लेकर रसोई के कामकाज तक घर की सभी छोटी-बड़ी महिलाएं मिलकर काम करती हैं. भले ही घर की सभी महिलाएं अलग-अलग जगह से आई हैं. लेकिन एक छत के नीचे रहकर सभी एक परिवार की तरह रह रही हैं.