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गोल्ड मेडलिस्ट किसान ने हरियाणा में पैदा कर दिए विदेशी फूल, जानिए मुनाफे की खेती का ये जबरदस्त आयडिया - foreign flower cultivation in haryana

पलवल के पातली खुर्द गांव के रहने वाले किसान रणबीर जापानी फूल कैल की खेती कर रहे (Kail Flowers farming Palwal) हैं. अपनी मेहनत और तकनीक की बदौलत उन्होंने जापानी फूल को भारत की मिट्टी में तैयार किया और अब इससे उनको मोटा मुनाफा भी हो रहा है.

Kail Flowers farming Palwal
रणबीर इस विदेशी फूल से लाखों की कमाई कर रहे हैं.

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Published : Feb 2, 2022, 3:08 PM IST

Updated : Feb 2, 2022, 3:18 PM IST

पलवल: किसान अब पारंपरिक खेती छोड़ फूलों और जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. वजह इन फूलों की बढ़ती मांग. फूलों की खेती से किसानों अधिक मुनाफा तो होता ही है. साथ ही इसमें लागत भी कम लगती है. इसी क्रम में हरियाणा में विदेशी फूलों की खेती भी होने लगी है. पलवल जिले के पातली खुर्द गांव के किसान रणबीर जापानी फूल कैल की खेती कर (Cultivation Of Kail Flowers In Palwal) रहे हैं. तकनीकी और अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने जापानी फूल को भारत की मिट्टी में तैयार किया है. अब इससे उनको मोटा मुनाफा भी हो रहा है.

नब्बे के दशक में किसान रणवीर ने शौकिया तौर पर खेत के कुछ हिस्से में स्टेटस नाम के फूल की खेती की थी. जब वह उस फूल को बेचने के लिए दिल्ली गाजीपुर मंडी गए तो वहां पर उनको इन फूलों के 1600 रुपये मिले. उस दौर में 16 सौ रुपये कमाना किसान रणवीर के लिए बहुत बड़ी बात थी. रणवीर ने तय किया कि अब वह फूलों की खेती करेंगे. धीरे-धीरे फूलों की खेती में आगे बढ़ने वाले रणबीर पूरे साल में करीब 35 प्रकार के फूलों की खेती करते है. इनमें भारत के फूलों से लेकर विदेशी फूल तक शामिल है.

गोल्ड मेडलिस्ट किसान ने हरियाणा में पैदा कर दिए विदेशी फूल, जानिए मुनाफे की खेती का ये जबरदस्त आयडिया

ऐसे मिला आयडिया- रणबीर को कैल फूल की खेती का आइडिया साल 2013 में गाजीपुर मंडी से मिला. बाजार में इस फूल की कीमत अच्छी थी. रणवीर ने इस जापानी फूल को देखते ही अपने खेतों में उगाने का फैसला कर लिया. शुरू- शुरू में रणबीर को इस फूल की खेती में काफी मुश्किले आई. ये मुश्किलें मिट्टी और तापमान को लेकर थी. इसका पता चलते ही रणवीर ने पहले अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण कराया. इसके बाद दूसरे इलाके से मिट्टी मंगानी पड़ी. इसके बाद इस मिट्टी को खेतों में मिलाया गया तब जाकर रणवीर के खेतों की मिट्टी शुष्क हो पाई.

कैसे होती है कैल फूल की देखभाल- मिट्टी तैयार करने के बाद फूल के लिए तापमान का बनाना बेहद जरूरी था. इसके लिए खेत के चारों तरफ नेट की व्यवस्था की गई है. दिन के समय में फूल को हवा लगाने के लिए नेट को हटा दिया जाता है. शाम होते होते उस नेट को फिर से फूलों के ऊपर चढ़ा दिया जाता है. ताकि बारिश और सर्दी के कारण फूल के पौधे को कोई नुकसान ना हो. शुरुआत में कैल फूल की खेती रणवीर ने केवल आधे एकड़ में की. इसके लिए जापान से फूल का बीज मंगाया गया. किसान रणवीर ने खुद ही बीज से पौध तैयार की. रणवीर को जब इस फूल की कीमत अच्छी मिलने लगी तो उन्होंने इसकी खेती भी बढ़ा दी. अब वह 6 एकड़ में फूल की खेती कर रहे है जिसमे 4 एकड़ में कैल फूल लगाया गया है.

आमतौर पर बाजार में यह 40 रुपये प्रतिफूल के हिसाब से बिकता है जबिक शादी के सीजन में इसकी कीमत बढ़ जाती है.

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फूलों की खेती में गोल्ड मेडलिस्ट हैं किसान रणवीर- रणवीर को हरियाणा में फूलों का गोल्ड मेडलिस्ट भी कहा जाता है. इसके पीछे की वजह यह है कि रणबीर को 35 प्रकार के फूलों की खेती करने पर राज्य सराकर द्वारा रणवीर को साल 2017 में गोल्ड मेडल भी दिया गया है. हरियाणा में वह इकलौत किसान ऐसे किसान है जो जापानी फूलों की खेती इतने बड़े स्तर पर कर रहे हैं. सजावट के काम आने वाले इस जापानी फूल की 6 अलग-अलग किस्में होती हैं. इसमें सभी का रंग भी अलग- अलग होता है.

सजावट के काम आने वाले इस जापानी फूल की 6 अलग-अलग किस्में होती हैं.

शादियों के सीजन में बढ़ जाती है फूल की डिमांड- करीब 15 दिन तक इस फूल को संभाल कर रखा जा सकता है. यह फूल लगातार महकता रहता है. आमतौर पर बाजार में यह 40 रुपये प्रतिफूल के हिसाब से बिकता है. जबकि शादियों के सीजन में इसकी कीमत 60 रुपये प्रति फूल तक पहुंच जाती है. 1 एकड़ में कैल फूल के करीब चालीस हजार पौधे लगाए जाते हैं. किसान रणवीर ने बताया कि दूसरी फसलों के मुकाबले वह प्रति एकड़ से कई लाख का मुनाफा कमाते हैं.रणबीर को बागवानी विभाग की ओर से भी मदद मिली है. बागवानी विभाग द्वारा फूलों की खेती करने के लिए किसानों को 64 रुपये से लेकर 24 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जा रहा है.

कैल फूलों के रंग अलग अलग होते हैं.

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बागवानी विभाग भी करता है मदद: जिला बागवानी अधिकारी डॉ अब्दुल रज्जाक ने बताया कि जब रणवीर ने जापानी फ्लावर की खेती शुरू की तो उनको आर्थिक तौर पर मदद करने के लिए बागवानी विभाग की तरफ से उनको नेट हाउस लगाने पर 65 प्रतिशत की छूट दी गई. करीब 20 लाख रुपए की लागत से नेट हाउस लगाया गया. जिले में 225 हेक्टेयर भूमि में विभिन्न किसानों के द्वारा फूलों की खेती की जा रही है. वहीं किसान रणबीर ने प्रदेश के बाकी किसानों से भी अपील की है कि वो पारंपरिक खेती को छोड़कर बागवानी की ओर रूख करें जिससे उन्हें लागत तो कम लगेगी ही मुनाफा भी ज्यादा होगा.

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Last Updated : Feb 2, 2022, 3:18 PM IST

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