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लॉकडाउन में अपनी छत पर शुरू की बागवानी, अब लोगों को दे रहे इसकी जानकारी - Palwal Horticulture Farming on roof

पलवल में राजेश्वर नाम के व्यक्ति ने लॉकडाउन के खाली समय में ही अपने छत पर बागवानी खेती कर डाली. उन्होंने ये कार्य अपने शौक के लिए किया.

person Horticultural farming on roof in palwal
person Horticultural farming on roof in palwal

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Published : Nov 8, 2020, 1:27 PM IST

पलवल: जिले में राजेश्वर नाम के व्यवसायी ने अपने ही छत को खेती में बदल दिया और वहां बागवानी खेत कर रहे हैं. उन्होंने लॉकडाउन के खाली समय में कुछ करने का मन बनाया. लॉकडाउन की नीरसता को छत पर सब्जियां, फल, फूल और औषधियों के कई दुर्लभ पौधों की खेती करके दूर करने का काम किया है. उन्होंने ये कार्य किसी कमाई के लिए नहीं बल्कि अपने शौक को पूरा करने लिए कर रहे हैं.

लॉकडाउन में अपने छत पर शुरू की बागवानी खेती, देखें वीडियो

छत पर शुरू की बागवानी खेती

अब वो अपने बागवानी के अनुभवों से इतने उत्साहित है की अपनी खुशी और आनंद को फेसबुक के जरिए लोगों से साझा भी करते हैं. राजेश्वर गर्ग अपनी घर की छत पर फल-फूल से लेकर हरी सब्जी तक की खेती कर रहे हैं. वो कहते हैं की लॉकडाउन होने के बाद उनके पास पर्याप्त समय था. घर के कमरों से निकलकर छत पर जाता था तो वहां भी नीरसता मन को कचोटती थी. इसी से बचने के लिए उन्होंने अपनी खुशी और शौक को पूरा करने के लिए छत पर बागवानी शुरू की.

इसलिए किया ये कारनामा

बता दें कि राजेश्वर गर्ग ने बागवानी की शुरूआत लॉकडउन में शुरू की थी. इस दौरान उनके पास करीब साठ पौधे गमलों में लगे हुए लेकर आए थे. आज उनके 2000 वर्ग फीट के छत पर छोटे-बड़े कुल मिलाकर 500 से अधिक गमले हैं, जिनमें फल, फूल और सब्जियां उग रही है. उनके बागवानी में फल से लेकर फूल तक, सब कुछ गमले में दिख जाएगा. गुलाब, गेंदा, एडेनियम जैसे फूल हों या फिर नारंगी, स्ट्रॉबेरी, बेर, लीची, अंगूर, बारहमासी आम और कटहल, ये सबकुछ उनके छत पर मौजूद हैं.

इतना ही नहीं वे पाली बैग धनिया, मूली,पालक, शिमला मिर्च, मिर्च और टमाटर की भी खेती करते हैं. राजेश्वर गर्ग ने लोगों को बागवानी खेती करने के तरीके भी बताएं. उन्होंने कहा कि बागवानी शुरू करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि पौधों के लिए मिट्टी तैयार करें. उन्होंने बताया कि पौधों के लिए खाद भी वो खुद ही बनाते हैं. चाय बनाने वाले से चाय की पत्ती और एक अंडे की रेहड़ी लगाने वाले से अंडे के छिलके लेकर पत्तियों और मिटटी में मिलाकर ड्रमों में रखने से 45 से 50 दिनों में खाद बन जाता है.

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उन्होंने बताया कि इस बागवानी खेती के लिए उन्होंने किसी किसान से नहीं बल्कि यूट्यूब से जानकारी जुटाई थी. उसके बाद अलग-अलग नर्सरियों में जाकर पौधों की जानकारी लेकर कलेक्शन शुरू किया. वो बताते हैं की पौधों में लगने वाली बीमारियों और कीटों से बचाने के लिए खुद ही ऑर्गेनिक दवाइयां बनाकर इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने बताया कि इस खेती से उनको सुकून मिलता है कि वो अपने लिए कुछ कर रहे हैं.

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