पलवल:हरियाणा के ड्राई जोन में धान की खेती बंद करने और गिरते भू-जल स्तर को देखते हुए सरकार ने 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना चलाई है. इस योजना के तहत धान की खेती छोड़कर वैकल्पिक फसल लगाने वाले किसानों को सरकार ने 7 हजार रुपये प्रति एकड़ पैसा देने का फैसला किया, लेकिन धान की फसल निकल गई. उसकी जगह मक्का की फसल भी कट चुकी है, लेकिन किसानों को अभी तक इस योजना का पूरा पैसा नहीं मिला है. सरकार की लेटलतीफी के चलते किसान निराश हैं. कह रहे हैं हमने फसल भी नहीं लगाई और पैसा भी नहीं मिल रहा है.
पदाना गांव के किसान विकास ने कहा कि मैंने सरकार की योजना 'मेरा पानी मेरी विरासत' के तहत धान की खेती छोड़कर मक्का लगाया था और नियम अनुसार उसका रजिस्ट्रेशन भी कराया था, लेकिन मुझे तो एक भी किश्त विभाग के द्वारा नहीं दी गई, जबकि ऐसे कई किसान हैं जिन्हें योजना की पहली किश्त मिल चुकी है.
विकास ने बताया कि उन्होंने विभाग के दफ्तर जाकर कई बार इस बारे में अधिकारियों से पूछा. इस पर अधिकारियों ने कहा उनकी ओर से एस्टीमेट बनाकर सरकार को भेजा जा चुका है और जल्दी ही किश्त प्राप्त हो जाएगी, लेकिन वो दिन पता नहीं कब आएगा जब किसानों को उनके मक्के की किश्त प्राप्त होगी.
किसानों को दूसरी किश्त का इंतजार
वही जब दूसरे किसान कृष्ण दादू से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने इस योजना के तहत धान की खेती छोड़कर 3 एकड़ में मक्का लगाया था. उस समय वैरिफिकेशन करके पहली किश्त मुझे दो-दो हजार के कुल 6 हजार रुपये दे दिए गए थे, लेकिन अपने तीनों एकड़ मक्के के लिए 15 हजार रुपये सरकार के पास अभी भी मेरा बकाया है.