हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

26 जनवरी को किसानों के दिल्ली कूच को सफल बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी- दीपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसानों के दिल्ली कूच को सफल बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. दीपेंद्र हुड्डा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी पर भी सवाल उठाए.

Deepender Hooda Rajya Sabha MP
Deepender Hooda Rajya Sabha MP

By

Published : Jan 20, 2021, 9:07 PM IST

पलवल: कृषि कानूनों के विरोध में नेशनल हाइवे-19 पर किसानों का धरना जारी है. धरने के 49वें दिन राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने धरना स्थल पर पहुंचकर किसानों को समर्थन दिया. इस दौरान दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की. दीपेंद्र ने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसानों के दिल्ली कूच को सफल बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. दीपेंद्र हुड्डा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी पर भी सवाल उठाए.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसान कृषि कानूनों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि किसान का बेटा होने के नाते किसानों को बर्बाद करने वाले कानूनों को केंसिल करवाने की अगुवाई करना मेरी नैतिक जिम्मेदारी है. इस जिम्मेदारी से हम कभी पीछे नहीं हटेंगे. 26 जनवरी को उम्मीद है कि किसान अनुशासन के साथ दिल्ली में गणतंत्रत दिवस पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे.

दीपेंद्र हुड्डा ने पलवल में किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसानों के साथ हमारा पूरा साथ और समर्थन है. क्योंकि ये पूरा आंदोलन गैर राजनीतिक और अनुशाशित है. सभी किसान यूनियन इस आंदोलन का नेत्रत्व कर रही हैं. दीपेंद्र हुड्डा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब कमेटी के एक सदस्य ने ये कहकर इस्तीफा दे दिया कि वो कमेटी में रहकर ईमानदारी के साथ किसानों की आवाज को नहीं उठा सकते तो फिर दूसरे सदस्यों से क्या उम्मीद की जा सकती है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वो सरकार को सदबुद्धी दें, ताकि सरकार अपनी जिद को छोडक़र किसानों की बातों को माने.

ये भी पढ़ें- 26 जनवरी के कार्यक्रम को लेकर सीएम मनोहर ने की किसानों से अपील, विपक्ष के झांसे में ना आए किसान

राज्यसभा सांसद ने कहा कि ये विषय राजहट का नहीं, पूरे देश के किसानों का मुद्दा है. कोई शाशक अपनी प्रजा की बात मानने से छोटा नहीं होता. बड़े दुख की बात है कि 75 के करीब किासनों की धरना स्थलों पर मौत हो चुकी है और सरकार ने इतना कड़ा रवैया अपनाया हुआ है. सभी भाषाओं धर्मों, क्षेत्रों का किसान आंदोलन कर रहा है और जनता का समर्थन विदेशों तक मिल रहा है. हम संसद से लेकर सड़कों तक किसानों के साथ हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details