नूंह : जिले में ट्रामा सेंटर बनवाने के लिए युवाओं ने रैली निकाल कर सरकार को चनावी वादे पर ध्यान दिलाने की कोशिश की. इस दौरान लोगों ने बताया कि अलवर से दिल्ली जाने वाली हाइवे पर एक भी ट्रामा सेंटर नहीं होने के कारण यह सड़क खूनी सड़क बन गई है.
उच्चतम न्यायालय के आदेश का भी नहीं हुआ पालन
उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार हाईवे पर 60 किलोमीटर की दूरी पर ट्रामा सेंटर होना चाहिए. विडंबना देखिए दिल्ली से गुरुग्राम, सोहना वाया नगीना, अलवप तक एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है. इस मामले में विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने रैली निकालकर सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया.
ट्रॉमा सेंटर बनाने के लिए युवाओं ने निकाली रैली इसे भी पढ़ें : करनाल में ट्रैक्टर और स्कूटी में भिड़ंत, एक की मौत
इस मामले में समाजसेवी मोहम्मद शाद ने कहा कि नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के लिए एक आदेश पारित करते हुए कहा था कि हाईवे से लगते हुए सभी जिले में ट्रामा सेंटर बनना चाहिए. लेकिन आज उस निर्णय के 2 साल से भी ज्यादा हो गए लेकिन अभी तक इस पर नाम चर्चा तक नहीं हो रही है.
6 साल में 1300 मौतें हुई इस सड़क पर
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस सड़क पर पिछले 6 साल में 1300 से अधिक मौतें हो चुकी हैं. इन दुर्घटनाओं में चार हजार के करीब लोग घायल हुए हैं. इस संबंध में समाजसेवी राजुद्दीन ने बताया कि सामाजित संगठनों के अथक प्रयासों से मेवात में ट्रामा सेंटर बनने की घोषणा एमडीए की बैठक में हुई थी लेकिन आजतक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. उन्होंने बताया कि सरकारी आकड़ों के अनुसार पिछले 6 साल में इस सड़क पर 1300 से ज्यादा लोगों की जान गई है और करीब चार हजार लोग घायल हैं. राजुद्दीन ने कहा कि यह सरकारी आकड़ा है तो आप समझ सकते हैं कि कितनी मौतें हो चुकी हैं अबतक. उन्होंने कहा कि इस सड़क को खूनी सड़क के नाम से जाना जाता है.
लोगों ने सरकार को दिया अल्टीमेटम
स्थानीय लोगों ने कहा कि यूपीए की सरकार ने 3 नवंबर 2008 को हाईवे के रुप में पुनर्गठन किया. ट्रामा सेंटर और हाईवे चौड़ीकरण की मांग को पूरा करने के लिए आंदोलन करेंगे. वहीं उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि सरकार अगर 30 दिसंबर तक जबाब नहीं देती है तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे.