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नूंह: ऐसा गांव जहां सबसे पहले पकती है गेहूं की फसल - Wheat crop ready first in mardhi village nuh

अनाज की रोटी तो सब लोग खाते हैं, लेकिन मेवात जिले के मढ़ी गांव के लोग इस मामले में सबसे ज्यादा खुशनसीब हैं. जिले में नहीं सुबे में मढ़ी ऐसा पहला गांव है, जहां सबसे पहले फसल पककर तैयार होती है. प्रदेशभर के लाखों किसानों के खेतों में भले ही हरी-भरी खेती लहरा रही हो, लेकिन मढ़ी गांव में तो गेहूं की फसल होली से पहले ही कटने लग जाती है. जबतक जिले और प्रदेश के अन्य इलाकों में फसल पककर तैयार होगी तब तक तो यहां के लोग नए अनाज की मुलायम और चमकदार देसी गेहूं की रोटी का जायका ले चुके होंगे.

Wheat crop ready first in mardhi village nuh
Wheat crop ready first in mardhi village nuh

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Published : Mar 8, 2020, 5:07 PM IST

Updated : Mar 8, 2020, 5:15 PM IST

नूंह: जिले के नगीना खंड में मढ़ी गांव है. गांव की आबादी करीब तीन हजार बताई जाती है. गांव की जमीन के लिए बरसाती पानी के अलावा कोई भी दूसरा चारा नहीं है. साल भर में इस गांव के लोग एक बार ही फसल ले पाते हैं. कई दशक हरियाणा हो चुका, लेकिन इस खंड के करीब 66 गांवों को नहरी पानी से नहीं जोड़ा जा सका. मंढ़ी गांव का जलस्तर गहरा और खारा होने की वजह से खेती के लायक तो क्या किसी काम में भी इस्तेमाल करने के लायक नहीं है.

कम पानी से पकता है गेहूं

मढ़ी गांव के किसान सरसों, गेहूं ,जो ,चना, मसूर इत्यादि फसलों की खेती करते आ रहे हैं. गांव के लोग जल्दी ही फसल पकने के पीछे सिंचाई नहीं होना भी एक कारण बताते हैं, लेकिन पानी तो पूरे खंड के करीब पांच दर्जनों गांवों में लगभग एक सम्मान ही है. सरसों तो जिले के अन्य गांवों और जिलों में काटी जा रही है, लेकिन गेहूं की फसल तो अभी भी पक्की भी नहीं है, कटाई की बात तो दूर है.

ऐसा गांव जहां सबसे पहले पकती है गेहूं की फसल, देखें वीडियो

अनाज पहले पकने की कहानी

मढ़ी गांव में सदियों पहले कोई भूखा-प्यासा बुजुर्ग व्यक्ति आया था. उसने गांव के किसी व्यक्ति से खाना मांगा. ग्रामीणों ने उसकी जमकर मेहमान नवाजी की और खाने में देरी नहीं लगाई. उसी समय उस बुजुर्ग ने गांव के लोगों को दुआ दी, कि कुदरत भी तुम्हें दुनिया से यानी अन्य गांव से पहले रिजक रोटी देगा. बस उसी दिन से मंढ़ी गांव में फसल सबसे पहले पकने लगी और गांव के लोग सबसे पहले नए अनाज की रोटी खाने लगे.

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मढ़ी गांव में देसी यानी 306 किश्म का गेहूं अधिकतर मात्रा में बोया जाता है. लंबा बढ़ने वाला ये गेहूं कम सिंचाई यानी बरसाती पानी से ही पक जाता है. सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण इसमें खाद भी नहीं डाला जाता. इस गेहूं की शुद्धता का भी कोई सानी नहीं है सबसे पहले नया और बीमारियों से मुक्त गेहूं मढ़ी गांव की शान बढ़ाता है.

Last Updated : Mar 8, 2020, 5:15 PM IST

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