नूंह:मेवात की जनता की प्यास बुझाने के लिए 450 करोड़ रुपये में पीने का पानी मुहैया कराने के लिए बीते 2004 में रेनीवेल परियोजना (Rainwell Project in Nuh) सरकार की तरफ से पास कर दी गई. परियोजना पास होते ही इसे धरातल पर उतारा गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने मेवात में रेनीवाल परियोजना की आधारशिला रखी थी. यह आधारशिला मेवात के मढियाकी गांव में रखी गई थी. जिस उम्मीद के साथ इस परियोजना की बुनियाद रखी गई थी, उससे मेवात की आम जनता ने भी आशा जताई थी कि अब कम से कम पीने के पानी की समस्या जरूर दूर हो जाएगी.
बावजूद इसके जनता की समस्या जस की तस बनी हुई है. रेनीवेल परियोजना का उद्देशय कहीं गुम होता नजर आ रहा है. मेवात की जनता का कहना है कि 2004 में शुरू की गई परियोजना का लाभ उन्हें अभी तक नहीं मिल सका है. उनका आरोप है कि जिम्मेदार भ्रष्ट अधिकारियों की भेंट परियोजना चढ़ चुकी है, उन्हें पीने के पानी के लिए अभी भी तरसना पड़ रहा है.
Reniwel Project in Nuh: रेनीवेल परियोजना से नहीं मिला ग्रामीणों को पानी आस-पास के ग्रामीण खारा पानी पीने को ग्रामीण मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरंपच और जेई से बात की पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है. पानी की किल्लत होने से ग्रामीणों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों के साथ ही जानवर भी खारा पानी पीने को मजबूर हैं. चिलचिलाती गर्मी में भारी पानी की किल्लत से ग्रामीण परेशान हैं.
बता दें कि 450 करोड़ रुपए की रेनीवेल परियोजना मढ़ी गांव में लगाई थी, जिससे कि पानी की समस्या को दूर किया जा सके. लेकिन 4 किलोमीटर की दूरी पर बसा तिरवाडा गांव में पानी के हालात अब किसी से छिपे नहीं हैं. पीने के पानी के लिए तरसते इस गांव ने अपने निजी कोष से तालाब में बोर लगवाए, लेकिन खारा पानी होने की वजह से फिर से वही समस्या खड़ी हो गई. ग्रामीण खारा पानी पीने को मजबूर हो गए हैं. मीठे पानी ले लिए लोग सरकार की रेनीवेल परियोजना पर आधारित हैं. पाइप लाइनें तो बिछा दी गई लेकिन अभी तक हर घर तक पानी पहुंचाने का जो वादा सरकार ने किया था वो अभी भी अधर में पड़ा नजर आ है.