नूंह: यात्रियों को ठीक ढंग से सुविधाएं नहीं दे पाने की वजह से रोडवेज विभाग पर लगातार गंभीर आरोप लगते रहे हैं. यात्रियों का कहना है कि विभाग मनमानी पर उतारु हो चुका है. विभाग नूंह को अनदेखा कर रहा है. नूंह डिपो से प्रदेश के लगभग दर्जन भर जिलों के लिए बसें जाती हैं, लेकिन नूंह जिले में सूबे के 21 डिपो की महज एक बस पलवल डिपो से नूंह आती है. आस-पास के जिले गुरुग्राम, रेवाड़ी, फरीदाबाद भी नूंह की तरफ बसों का संचालन नहीं करते हैं.
'पड़ोसी राज्यों से भी नहीं आती बसें'
नूंह डिपो में बसों कमी के बावजूद दूसरे जिलों के लिए बस मिलना आसान है, लेकिन सूबे के अन्य डिपो से नूंह जिले के लिए बस मिलने की उम्मीद नहीं कर सकते. गुरुग्राम, रेवाड़ी, फरीदाबाद जैसे पड़ोसी जिले भी इसमें पूरी कोताही बरतते हैं. यात्रियों, प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों को भी परिवहन विभाग की इस बेतुकी नीति का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. निजी बस या डग्गामार वाहन के भरोसे परिवहन व्यवस्था टिकी हुई है. निजी वाहनों की वजह से यात्रियों को काफी कठिनाई तो होती है, दूसरा सड़क हादसे का खतरा भी बना रहता है.
नूंह डिपो पर है बसों की भारी कमी
बता दें कि रोडवेज नूंह के बेड़े में कुल 89 बसें हैं, जिनकी संख्या दो-तीन महीने पहले 100 के करीब थी. बसें कंडम होती गई और संख्या कम होती चली गई. 89 में से करीब 77 बसें ही रोड पर दौड़ रही हैं. दर्जन भर बस स्टाफ की कमी या तकनीकी खराबी के चलते नहीं चल पा रही हैं.