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मांडीखेड़ा गांव के शहीदों की याद में बनी मीनार बदहाली पर बहा रही आंसू, सुध लेने वाला कोई नहीं - शहीदी स्मारक नूंह

प्रथम विश्वयुद्ध में जान गंवाने वाले मेवात के वीर सैनिकों का स्मारक आज पिछले कई सालों से वीरान पड़ा है. इन वीर शहीदों की यादों को सहेजने के लिए अभी तक ना इसकी मरम्मत हुई है और ना ही कोई चारदीवारी का निर्माण किया गया है. मौजूदा वक्त में स्मारक के आसपास कटीली झाड़ियां खड़ी हैं. आसपास सफाई नहीं है. चारों तरफ कूड़े का ढ़ेर है.

shaheedi memorial of mandikheda village nuh
मांडीखेड़ा गांव के शहीदों की याद में बनी मीनार बदहाली पर बहा रही आंसू

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Published : Jan 21, 2020, 11:39 PM IST

नूंह:हरियाणा का मांडीखेड़ा गांव वीर - बहादुरों की सरजमीं है. इस मुल्क के लिए मांड़ीखेड़ा गांव के जांबाजों ने कई बार अपनी जान गंवाई है. प्रथम विश्वयुद्ध में इस गांव के 109 जवानों ने भाग लिया, जिसमें 10 जवान शहीद हो गए. इन वीरों की वीरता को जिवंत रखने के लिए अंग्रेजों ने सन 1924 में एक स्मारक का निर्माण कराया. शहीदों की याद में बना स्मारक आज बदहाली के आंसु रो रहा है.

अंग्रेजों ने दिया सम्मान, अपनों ने किया अपमान!

समाजसेवी राजुद्दीन मेव बताते हैं कि प्रथम विश्वयुद्ध 1914 -19 में भाग लेने वाले और शहीद होने वाले मांड़ीखेड़ा गांव के 109 सैनिकों की याद में ब्रिटिश हुकूमत ने 1924 में इसे बनवाया था. शहीदी स्मारक के चबूतरे पर चढ़ने के लिए 8 सीढ़ियां बनाई गई थी. चबूतरे से स्मारक की ऊंचाई 9 -10 फुट थी, जो अब कूड़ा व मिट्टी डाले जाने से घट गई है. राजुद्दीन बताते हैं कि मांड़ीखेड़ा गांव के इन 109 जवानों में से 10 जवान शहीद हुए थे. अंग्रेजी सरकार ने सभी को रोल ऑफ ऑनर की उपाधि से नवाजते हुए दो संगमरमर पत्थर पर उनके नाम गुदवाकर लगवाए थे, जो आज भी मौजूद हैं.

मांडीखेड़ा गांव के शहीदों की याद में बनी मीनार बदहाली पर बहा रही आंसू
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देश-विदेश की अनेक हस्तियां कर चुकी हैं स्मारक का दीदार

शहीदों के स्मारक का दीदार देश-विदेश की अनेक हस्तियां कर चुकी हैं. जिनमें ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ, जयपुर की महारानी गायत्री देवी, पटौदी रियासत की रानी साजिदा बेगम और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मुख्य हैं. सन 1985 में भारत रत्न खान अब्दुल गफ्फार खान भी इस स्मारक का दीदार किए थे.

शहीदों के सम्मान में महारानी एलिजाबेथ ने सिर से हटाई थी टोपी

राजुद्दीन मेव बताते हैं कि 1960 के दशक में 7 फुट चौड़े शेरशाह सूरी मार्ग पर महारानी एलिजाबेथ, जयपुर की महारानी गायत्री देवी, पटौदी रियासत की रानी साजिदा बेगम और इंदिरा गांधी एक साथ खुली जीप से मांड़ीखेड़ा पहुंचे थे. ऐसा कहा जाता है कि महारानी एलिजाबेथ उस वक्त कार से नीचे उतरीं और शहीद स्मारक की ओर मुंह करके सम्मान जाहिर करते हुए टोपी को सिर से हटा दिया था.

बदहाल पड़ा है आज यह शहीदी स्मारक

प्रथम विश्वयुद्ध में जान गंवाने वाले मेवात के वीर सैनिकों का स्मारक आज पिछले कई सालों से वीरान पड़ा है. इन वीर शहीदों की यादों को सहेजने के लिए अभी तक ना इसकी मरम्मत हुई है और ना ही कोई चारदीवारी का निर्माण किया गया है. मौजूदा वक्त में स्मारक के आसपास कटीली झाड़ियां खड़ी हैं. आसपास सफाई नहीं है. चारों तरफ कूड़े का ढ़ेर है.

शिक्षक वीरभान कहते हैं कि इस बारे में कई बार सरकार को कई बार बताया गया लेकिन सरकार इसपर कोई ध्यान नहीं दी. उन्होंने कहा कि वो सरकार से मांग करते हैं कि शहीदों के इस स्मारक का जिर्णोद्धार कराए.

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